भोपाल, राज्य सरकार ने दिसंबर के पहले हफ्ते में जारी टेंडर निरस्त कर दिया है। अब शर्तें और पोषण आहार निर्माण की प्रक्रिया नए सिरे से तय की जाएगी। सूत्रों की माने तो प्रदेश में पूरक पोषण आहार के निर्माण और आपूर्ति का काम अब महिला स्व-सहायता समूह और महिला मंडलों को ही दिया जाएगा। स्व-सहायता समूह सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद अफसरों ने दूसरे विकल्पों पर विचार बंद कर दिया है। वरिष्ठ अफसरों की समिति ने महिला एवं बाल विकास विभाग से एक हफ्ते में डीपीआर तैयार करने को कहा है। सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को पोषण आहार वितरण की प्रक्रिया तय करने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में समिति गठित की है। हाल ही मंत्रालय में समिति की बैठक हुई। जिसमें समूहों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक नए सिरे से शर्तें तय करने पर चर्चा हुई।
बैठक में समूहों के फेडरेशन (परिसंघ) तैयार कर उन्हें काम देने पर बात हुई है। फेडरेशन तैयार करने में ईएनवाय (अन्र्स्ट एंड यंग) संस्था तकनीकी रूप से विभाग का सहयोग करेगी। फेडरेशन में जिले के सभी समूहों के प्रतिनिधियों को बतौर सदस्य रखा जाएगा। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग, एमपी एग्रो, आजीविका मिशन, ईएनवाय संस्था और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री की घोषणा से साफ हो गया है कि पोषण आहार का काम महिला स्व-सहायता समूहों को ही दिया जाना है। ऐसे में केरल के कुटुंबश्री मॉडल पर अब विचार नहीं होगा। सरकार ने सम्मेलन से पहले इस मॉडल पर विचार शुरू किया था। तीन अफसरों के अध्ययन दल को केरल भेजा था। दल ने पिछले हफ्ते ही अपनी रिपोर्ट सौंपी है। वरिष्ठ अफसरों की समिति को इस मॉडल पर विचार करना था। इसके पहले ही मुख्यमंत्री ने घोषणाएं कर दीं।