चारा घोटाले के एक मामले में लालू यादव पर आज शाम आएगा फैसला

रांची,बहुचर्चित चारा घोटाले के एक मामले देवघर कोषालय में लालू यादव पर एक बार फिर से फैसला आने वाला है। 20 साल के लंबे अंतराल के बाद आज 23 दिसंबर को चारा घोटाला के एक मामले में लालू पर दोपहर बाद 3 बजे फैसला आएगा
23 तारीख का संयोग
इन 20 सालों में लालू को सैकड़ों तारीखों का सामना करना पड़ा है। लेकिन 23 तारीख का ऐसा संयोग है कि 20 साल बाद भी उन्हें नहीं छोड़ रहा। 23 दिसंबर को क्या होने वाला है ये कोई नहीं जानता। लालू की रिहाई होगी या फिर वो जेल जाएंगे। 20 साल से चल रहे चारा घोटाला मामले में अब जब फैसले की बारी है तो सबकी निगाहें लालू पर टिकी हैं। ऐसे में लालू के साथ इन सालों में एक तारीख उनका पीछा नहीं छोड़ रही।
लालू इन 20 सालों से तारीखों से जूझते रहे हैं लेकिन 23 तारीख का लालू के साथ एक अलग ही संयोग रहा। ठीक 20 साल पहले चारा घोटाला में सीबीआई ने 23 जुलाई 1997 को लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 55 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
यादव को जाना पड़ा था जेल
इसके बाद लालू को जेल जाना पड़ा था। 20 साल बाद आज फिर से वही तारीख लालू को परेशान कर रही है। लेकिन आरजेडी इसे केवल संयोग मानकर खुद के लिए न्याय की उम्मीद लगाए बैठी है।
900 करोड़ का था घोटाला
900 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा मुख्य आरोपी हैं। साल 1996 में सबसे पहले ये मामला सामने आया। 20 सालों से अभी तक यह मामला कोर्ट में चल रहा है।
लालू यादव कब-कब गये जेल
साल 1997 में पहली बार लालू 135 दिन न्यायिक हिरासत में रहने के बाद 12 दिसंबर 1997 को रिहा हुए। इसके बाद 28 अक्टूबर 1998 को उन्हें चारा घोटाले के ही एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पटना की बेऊर जेल में रखा गया। जमानत मिलने के बाद 5 अप्रैल 2000 को उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में एक बार फिर गिरफ्तार किया गया।
इस बार उन्हें 11 दिन जेल में बिताने पड़े। इसके बाद 28 नवंबर 2000 को लालू यादव ने चारा घोटाला मामले में ही 1 दिन और जेल में गुजारा। साल 2013 में चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई। बाद में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई आज एक बार फिर लालू पर जेल जाने का खतरा मंडराने लगा है।
अब 23 तारीख को सबको कोर्ट के फैसले का इंतजार है तो लालू खेमे में बेचौनी है, ऐसे में इन तारीखों के मकड़जाल से लालू का निकलना तो आसान नहीं लेकिन लालू खेमा न्यायालय और इस तारीख से न्याय की एक उम्मीद जरुर लगा रखा है।

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