जमीन के कारोबार में रुकेगा फर्जीवाड़ा,मर्ज होंगे 2 विभागों के 3 सॉफ्टवेयर

भोपाल,राज्य सरकार द्वारा तैयार कराए जा रहे सॉफ्टवेयर अगले साल से काम करना शुरू कर देगा।जमीन के कारोबार में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए 2 विभागों के 3 सॉफ्टवेयरों को मर्ज किया जा रहा है। फर्जी रजिस्ट्री रोकने और रजिस्ट्री के साथ नामांतरण आदि की कार्यवाही के लिए तैयार किए जा रहे इस साफ्टवेयर के डेटा सिलेक्शन का काम जिलों में कराया जा रहा है। पहले एक जिले में इस व्यवस्था को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा और बाद में किसी तरह की गड़बड़ी सामने न आई तो दो माह पश्चात पूरे प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा। राजस्व विभाग में जमीन के एक ही हिस्से को एक से अधिक व्यक्तियों को बार बार बेचे जाने की शिकायत से परेशान सरकार इस पर रोक के लिए प्रयासरत है। सूत्रों के अनुसार अगले साल से ये सॉफ्टवेयर लागू कर दिए जाएंगे। इस व्यवस्था में प्रदेश भर में मौजूद खसरों को साफ्टवेयर में अपलोड करने का काम चल रहा है ताकि अगर किसी जमीन को बेचने के लिए रजिस्ट्री कराई जाए तो इसकी जानकारी एक साथ पंजीयन विभाग व तहसीलदार को मिल सके।  सूत्र बताते हैं कि इस व्यवस्था में प्रदेश भर में मौजूद खसरों को साफ्टवेयर में अपलोड करने का काम चल रहा है ताकि अगर किसी जमीन को बेचने के लिए रजिस्ट्री कराई जाए तो इसकी जानकारी एक साथ पंजीयन विभाग व तहसीलदार को मिल सके। सिस्टम लागू करने के लिए तीन साफ्टवेयर मर्ज किए जा रहे है। इसमें राजस्व विभाग के सीएलआर, आरसीएमएस और पंजीयन विभाग के संपदा साफ्टवेयर शामिल हैं। संपदा से पहले से ही ऑनलाइन रजिस्ट्री हो रही है। अब राजस्व विभाग के साफ्टवेयर के साथ जुड़ने से यहां काम करने वाले अफसरों को जमीन के मालिक की स्थिति पता लगती रहेगी। एक ही जमीन की एक से अधिक लोगों को रजिस्ट्री किए जाने के प्रदेश में सैकड़ों मामले हैं। सूत्र बताते हैं कि रजिस्ट्री के बाद नामांतरण नहीं कराए जाने पर भू माफिया एक ही जमीन को बार बार बेचते हैं। ऐसे में यह व्यवस्था महसूस की गई कि रजिस्ट्री के बाद तुरंत नामांतरण हो जाए तो बार-बार जमीन बेचने वालों की धरपकड़ की जा सकेगी और ऐसा होने पर रोक लग सकेगी। इसलिए ऐसे साफ्टवेयर पर सरकार ने काम शुरू किया जो अब जाकर शुरू होने की स्थिति में आया है। इस सिस्टम को लागू करने के लिए तीन साफ्टवेयर मर्ज करने का काम शासन करा रहा है। इसमें राजस्व विभाग के सीएलआर, आरसीएमएस और पंजीयन विभाग के संपदा साफ्टवेयर शामिल हैं। संपदा से पहले से ही आनलाइन रजिस्ट्री हो रही है। अब राजस्व विभाग के साफ्टवेयर के साथ जुड़ने से यहां काम करने वाले अफसरों को जमीन के मालिक की स्थिति पता लगती रहेगी।

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