अहमदाबाद,गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ाने के बाद अब जिग्नेश मेवाणी ने मोदी और बीजेपी के खिलाफ कर्नाटक के सियासी रण में उतरने का फैसला किया है। वे किसी भी पार्टी में शामिल होने से इनकार करते हैं, लेकिन बीजेपी के खिलाफ हर कदम उठाने को तैयार हैं। गुजरात में दलित आंदोलन से निकले जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस सहित कई पार्टियों के समर्थन से निर्दलीय विधायक बनने में कामयाब हुए हैं। जिग्नेश गुजरात में बीजेपी के खिलाफ भले ही बड़ा करिश्मा दिखाने में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन देश के बाकी हिस्सों में कांग्रेस के लिए मददगार साबित हो सकते है, क्योंकि जिग्नेश ने बीजेपी और मोदी के खिलाफ देश के बाकी राज्यों में अभियान चलाने का बीड़ा उठाया है। कांग्रेस के लिए जिग्नेश परोक्ष रूप से दलित चेहरा बनकर उभरे हैं।
जिग्नेश ने कर्नाटक में मोदी के खिलाफ प्रचार का ऐलान भी कर दिया है। गौरतलब है कि अगले साल 2018 में देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें प्रमुख रूप से कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, शामिल हैं। इनमें से तीन जगह बीजेपी और एक जगह कांग्रेस की फिलहाल सरकार है। इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा और मेघालय भी हैं, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। गौरतलब है कि कर्नाटक में करीब 23 फीसदी दलित मतदाता हैं। राज्य में कांग्रेस का दलित चेहरा मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो लोकसभा में पार्टी के नेता हैं। ऊना कांड के बाद जिग्नेश की दलित समुदाय में एक पहचान बनी। ऐसे में कर्नाटक की जमीन पर उतरकर बीजेपी के खिलाफ अभियान का फायदा कांग्रेस के पक्ष में जाएगा। जिग्नेश सिर्फ कर्नाटक ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी के खिलाफ अभियान का बीड़ा उठाए हुए हैं। इन सभी राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस दो ही प्रमुख पार्टियां हैं। इस तरह बीजेपी के खिलाफ उनके अभियान चलाने का सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा।