नई दिल्ली,जुलाई से सितंबर, 2017 तक चले डोकलाम विवाद के बाद पहली बार भारत और चीन सीमा विवादों को सुलझाने के उद्देश्य से मिलने जा रहे हैं। क्या डोकलाम या इस जैसे मुद्दे फिर से सर नहीं उठा पाये इसके लिए भारत और चीन के बीच कोई रजामंदी होगी? क्या ये दोनों पड़ोसी मुल्क आपसी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए पिछले 13 वर्षों से चल रही कोशिशों को अब किसी नतीजे पर ले जाने की राह निकाल पाएंगे? हाल के महीनों में बेहद तनाव भरे रिश्तों से दो-चार भारत और चीन के बीच अगले शुक्रवार को एक अहम बैठक होगी, जिसमें उक्त सवालों का जवाब खोजने की कोशिश होगी। बैठक में भारत की अगुवाई राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन की अगुवाई वहां के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यांग यिची करेंगे। इस बैठक को लेकर दोनो देश बेहद सतर्क है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह सिर्फ सीमा विवाद को लेकर बैठक नहीं है बल्कि रणनीतिक वजह से भी अहम है। भारत की तरफ से बस एक छोटी सी सूचना दी गई है। सतर्कता के पीछे वजह यह बताया जा रहा है कि दोनो देश बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं बढ़ाना चाहते। वैसे सीमा विवाद सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के स्तर पर होने वाली इस बातचीत की शुरुआत वर्ष 2003 में वाजपेयी सरकार के दौरान ही की गई थी। अभी तक 19 बैठकें हो चुकी है और यह नहीं कहा जा सकता कि तकरीबन 4,000 किलोमीटर लंबे सीमा में फंसे पेंचों को सुलझाने में कोई कामयाबी हासिल हुई है।