जयपुर, राज्य में डाक्टरों की हड़ताल से हालात खराब हो गए है। अजमेर के जेएलएन अस्पताल से बिना इलाज के 24 घंटे में 22 मरीजों की मौत हो गई है। सेवारत चिकित्सकों के साथ रेजीडेंट डाक्टर्स भी हड़ताल पर है। इसका असर अस्पताल में दिखने लगा है, हालांकि अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है कि ये मौतें इलाज के दौरान मरीजों की हुई है। इसके साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों की छुट्टी कर दी गई है। मरीजों की जांच बंद कर दी गई है।
दूसरी ओर चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने सरकार ने डाक्टर्स से अपील की है कि उनकी सारी मांगे मान ली गई है। वे काम पर लौटें उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। सराफ का यह भी कहना है कि हड़ताल करने वाले डाक्टर्स सरकार पर ट्रांसफर निरस्त करने के लिए जबरन दबाव बना रहे हैं। साथ ही दूसरे चिकित्सकों को भी बरगला रहे हैं। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बीच जयपुर में भी हड़ताल का असर दिखाई देने लगा है। सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुरिया अस्पताल में कमान तो वरिष्ठ डाक्टरों और नर्सिग स्टाफ ने संभाल रखी है पर गंभीर रोगियों को ही भर्ती किया हुआ है। सामान्य मरीजों को वापस भेजा जा रहा है। चिकित्सा विभाग की लापरवाही से ओटीएस (ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल) स्वाइन फ्लू का केंद्र बन गया। यहां एक के बाद एक 11 अफसर इस बीमारी से घिर गए। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग ने 281 अफसरों में से सिर्फ 116 की जांच कराई। अब ओटीएस प्रशासन ने यहां छुट्टी घोषित कर हॉस्टल खाली करा लिया। लेकिन चिकित्सा विभाग ने मर्ज को बढऩे की राह खुली छोड़ दी। आशंका है कि जिन 165 अफसरों की जांच नहीं की, उनमें से अगर कोई भी पॉजिटिव हुआ तो वह जहां जाएगा, संक्रमण फैलेगा ही।