हरदा, हरदा के बालागांव के किसान रामदयाल ने जनसुनवाई में अपर कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए कहा कि साहब 2008 से सीमांकन के लिए आवेदन दे रहा हूं। किंतु आज तक मेरी जमीन का सीमांकन नहीं हुआ है। यदि इस बार भी सीमांकन नहीं हुआ तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। किसान के यह कहते ही अपर कलेक्टर बाबूलाल कोचले भड़क गए। उन्होंने किसान से कहा की आत्महत्या करने की धमकी हमें मत दो,नहीं तो जेल भेज देंगे।
किसान रामदयाल गौर के अनुसार उसकी जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। 2008 से अभी तक 9 आवेदन पत्र किसान दे चुका है।कई बार कलेक्टर जनसुनवाई में भी गुहार लगा चुका है।किंतु इसके बाद भी उसकी जमीन का सीमांकन नहीं हो पाया।उल्टे उसकी पीड़ा को दूर करने के स्थान पर उसे जेल भेजने की धमकी देना, प्रशासन की कार्यप्रणाली और संवेदनशीलता का सबसे बड़ा प्रमाण है।
जिस राज्य का मुख्यमंत्री अपने आप को किसानों का बेटा कहता हो, जिसे सारे देश में एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता हो।उस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में उसके अधिकारी इतने असंवेदनशील और निष्ठुर होंगे, इससे प्रशासन की सहज कल्पना की जा सकती है।जनसुनवाई के नाम पर आम आदमियों को भटकाना और टालमटोल करना अधिकारियों का एकमात्र काम होता है। जिससे अब जनता भी उद्वेलित होने लगी है। समय रहते कार्यवाही नहीं की गई, तो स्थिति कभी भी विस्फोटक हो सकती है।