शिमला, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत जरूर दर्जकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन सीएम प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल सहित पार्टी के दिग्गज नेताओं के चुनाव हार जाने के कारण इस जीत का जश्न बीजेपी के लिए थोड़ा फीका जरूर हो गया है।बल्कि अब यह सवाल भी खड़े होने लगे हैं कि आखिर बीजेपी के सीएम प्रत्याशी धूमल को अंतिम समय में सीट बदलने के लिए क्यों कहा गया जबकि वह अपनी परंपरागत सीट पर मजबूत स्थिति में थे और आसानी से जीत सकते थे।बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ चली सत्ता लहर में बीजेपी 68 विधानसभा सीटों में से 44 पर कब्जा कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। इतना ही नहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत भी 2012 में 38.7 फीसदी से बढ़कर इस बार 48.7 फीसदी हो गया है। उधर,कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटों से संतोष करना पड़ा है। उसका वोट प्रतिशत भी 2012 के मुकाबले कम हुआ है।
बीजेपी की इस पूर्ण बहुमत की जीत के बावजूद इस समय प्रदेश में स्थिति ऐसी है कि उसके पास सीधे तौर पर मुख्यमंत्री बनाने के लिए कोई चेहरा नहीं है। जाहिर है कि बीजेपी सीएम प्रत्याशी धूमल सहित कई बड़े नेता चुनाव हार चुके हैं। इसमें प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती,पूर्व मंत्री रवींद्र सिंह रवि,गुलाब सिंह ठाकुर (धूमल के समधी),इंदू गोस्वामी और रणधीर शर्मा शामिल हैं। ये ऐसे नाम हैं, जो अगर सरकार में शामिल होते तो कैबिनेट में शामिल हुए होते। यह स्थिति निश्चित रूप से बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल तो पैदा कर ही रही है। यही वजह है कि सोमवार देर शाम संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद बीजेपी ने घोषणा की है कि रक्षामंत्री सीतारमण और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर हिमाचल का दौरा करेंगे और वहां नेताओं की राय जानने की कोशिश करने के बाद सीएम के नाम की घोषणा होगी। हिमाचल में भाजपा की जीत के साथ ही इस बात पर विवाद जारी है कि आखिर धूमल को हमीरपुर सीट छोड़कर अचानक सुजानपुर सीट से लड़ने के लिए क्यों कहा गया। जबकि ज्यादातर का मानना है कि सीएम चेहरा होने के कारण धूमल को उनकी परंपरागत सीट से लड़ने देना चाहिए था। उधर,अपनी हार को स्वीकार करते हुए धूमल ने कहा,मैं किसी को दोषी नहीं ठहराता हूं। यह राजनीति है और इसमें हार-जीत लगी रहती है। मैं इस बात से खुश हूं कि बीजेपी सत्ता में आ गई है। उधर,हार के बाद पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि वह कांग्रेस के लिए काम करते रहेंगे। बता दें कि वीरभद्र अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। हालांकि कांग्रेस में भी कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार चुके हैं। इसमें वीरभद्र सरकार में शामिल कई मंत्री भी हैं। इनमें मुख्य रूप से कौल सिंह ठाकुर, उनकी बेटी चंपा ठाकुर,मंत्री प्रकाश चौधरी, ठाकुर सिंह भारमौरी, सुधीर शर्मा, जीएस बाली शामिल हैं।