भोपाल, विगत दिनों शहडोल जिले में हुई चार बाघों की मौत हो गई थी। इस मामले में वन विभाग के मैदानी अफसरों की लापरवाही उजागर हुई है। सूत्रों की माने तो इस मामले में अफसरों ने खुफिया सूचनाओं पर भी ध्यान नहीं दिया। जबकि पहली घटना से पहले ही अफसरों को वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने सतर्क रहने की सूचना दी थी। अफसरों ने क्षेत्र में बाघ की सक्रियता न होने के कारण सूचना को नजरअंदाज कर दिया। शहडोल वन वृत्त में 16 दिन में चार बाघ और एक तेंदुए की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई है। शहडोल शहर से सटे कल्याणपुर वन परिक्षेत्र में पहली घटना हुई थी। सूत्रों का कहना है कि मामले में हफ्ते भर पहले वृत्त के मैदानी अफसरों को सूचित किया गया था कि बाघों के शिकार से जुड़े एक समाज के लोगों की क्षेत्र में सक्रियता देखी जा रही है। ये लोग कटनी और उसके आसपास नजर आ रहे हैं। इसलिए सतर्क रहें, इस पर अफसरों ने ध्यान नहीं दिया।
वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि मैदानी अफसरों ने यह सोचकर सूचना को नजरअंदाज कर दिया कि क्षेत्र में बाघ सक्रिय नहीं हैं, तो घटना क्या होगी, लेकिन 25 नवंबर से शुरू हुआ बाघों की मौत का सिलसिला 11 दिसंबर तक लगातार चला। इस दौरान दो बाघ, एक बाघिन, एक शावक और एक तेंदुए की संदिग्ध मौत हुई है। मुख्यालय की सूचना को नजरअंदाज करने वाले मैदानी अफसर बचाव की मुद्रा में आ गए हैं। इन अफसरों ने मुख्यालय के अफसरों को बताया है कि उन्होंने सूचना वनकर्मियों तक भेजी थी और उन्हें सतर्क रहने को भी कहा था, लेकिन वनकर्मियों ने गंभीरता नहीं दिखाई।इस संबंध में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जितेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि जिन कर्मचारियों ने सूचना को गंभीरता से नहीं लिया है, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई शुरू भी कर दी है। वहीं पूरे मामले में लापरवाही की जांच उपरांत दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शहडोल में चार बाघों की मौत के मामले में अफसरों की लापरवाही उजागर
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