देहरादून, देहरादून से 20 किमी दूर स्थित एक गांव में 62 साल की एक विधवा मां के सामने अपने 30 साल के दिव्यांग बेटे के सामने दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। बेटे के पास आधार कार्ड नहीं है, इसलिए उसे बीते एक साल से पेंशन नहीं मिली है। उसका आधार नहीं बन पा रहा है क्योंकि आधार बनाने वाली मशीन उसकी उंगलियों के निशान और आईरिस की पहचान नहीं कर पा रही है।
आधार की जानकारी नहीं जमा कर पाने चलते पेंशन से बंद कर दिए जाने से केवल 62 साल की नीरो देवी ही परेशान नहीं हैं, बल्कि राज्य के 53,000 से भी अधिक दिव्यांग, बुजुर्ग और विधवा को अक्टूबर 2016 से उनका हक नहीं मिल पा रहा। दिव्यांग पेंशन पाने वाले राज्य के 59,081 दिव्यांगों में से 5,424, 4.2 लाख वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थियों में से 36,060 और 1.5 विधवा पेंशन पाने वाली महिलाओं में से 12,047 को आधार की जानकारी जमा न कर पाने की वजह से पेंशन देना रोक दिया गया। नीरो देवी बताती हैं कि उनके बेटे का आधार कार्ड बनना बहुत मुश्किल है। कभी वह फोटो खींचते देख डर जाता है और हिंसक हो जाता है। उसे आधार केंद्र तक बार-बार ले जाना भी उनके लिए मुश्किल है। वह कहती हैं कि वह अपने बेटे को उस हालत में नहीं देख सकतीं। उनका घर अब उनकी एक हजार रुपये पेंशन से चलता है। अब तक बेटे की पेंशन से काम चलता था, लेकिन उसके बंद हो जाने के बाद से घर चलाना मुश्किल हो गया है।