शरद यादव की सदस्‍यता को लेकर सदन में हंगामा, कार्यवाही स्थगित

नई दिल्‍ली,शीत लहर के बीच संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो गई है। राज्‍यसभा की कार्यवाही शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी नए कैबिनेट नेताओं का सदन में परिचय दिया है। राज्‍यसभा में शरद यादव और अली अनवर की सदस्‍यता खत्‍म कर दी गई है। इसे लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया, जिस कारण कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्‍थगित की है। राज्‍यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पूर्व सेनाध्‍यक्ष और अन्य पर पाकिस्तान के साथ मिलकर गुजरात विधानसभा चुनाव में साजिश रचने का आरोप लगाने का मुद्दा उठाया और कहा कि यह साधारण आरोप नहीं है। हंगामे के दौरान सदन की कार्यवाही 2:30 बजे तक के लिए फिर स्थगित की गई।
सदन से बाहर आकर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आकर जो उन्होंने कहा उस बात का सबूत देना चाहिए और सदन और पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले उन्‍होंने कहा कि सद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है और मुझे विश्वास है कि यह उत्पादक सत्र होगा। मैं उम्मीद करता हूं की संसद में सकारात्मक बहस होगी, देश लाभान्वित होगा और प्रजातंत्र मज़बूत होगा। संसद के समय का सदुपयोग होगा। लोकसभा की कार्यवाही 18 दिसंबर दोपहर 11 बजे तक के लिए स्‍थगित कर दी गई है। कांग्रेस इस सत्र में मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर चुकी है। मालूम हो कि रकार शीतकालीन सत्र में 25 लंबित विधेयक और 14 नए विधेयक पेश कर सकती है। इनमें तीन तलाक के मामले में मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता दिए जाने के अधिकार से जुड़ा विधेयक भी शामिल है।
क्या है शरद यादव का मामला
शरद यादव और एक अन्य सांसद अली अनवर को 4 दिसंबर को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया था। जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस साल जुलाई में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद एवं कांग्रेस के साथ महागठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ गठजोड़ किया था। राज्यसभा के सभापित जेडीयू की इस दलील से सहमत थे कि इन दोनों वरिष्ठ सदस्यों ने पार्टी के निर्देशों की अवहेलना कर और विपक्षी दलों के कार्यक्रम में शामिल होकर स्वयं ही अपनी सदस्यता छोड़ दी। जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इसलिए ये सवाल उठ रहा था कि वह राज्‍य सभा की कार्यवाही में शामिल होंगे या नहीं। यादव ने अपनी याचिका में कहा कि संबंधित प्राधिकार ने उनके खिलाफ फैसला सुनाने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया है।

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