भोपाल,देश के बहुचर्चित घोटाले व्यापमं के रसूखदार 7 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए मप्र हाईकोर्ट ने मामले में तल्ख टिप्पणी की है। माननीय न्यायालय ने कहा कि व्यापमं एक बड़ा घोटाला है, जिसके जरिए आरोपियों ने भले ही किसी की जिंदगी नहीं छीनी, लेकिन सैकड़ों छात्रों के भविष्य की सामूहिक हत्या की है। लिहाजा, सरेंडर किए बिना अग्रिम जमानत का सवाल नहीं नहीं उठता। हाईकोर्ट ने रसूखदार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर उनके जेल जाने का रास्ता साफ कर दिया। मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने पूर्व में बहस पूरी होने के बाद रिजर्व किया गया ऑर्डर सुनाया। सातों आरोपियों पूर्व डीएमई एससी तिवारी, ज्वाइंट डीएमई एनएम श्रीवास्तव, पीपुल्स ग्रुप के कुलपति डॉ.विजय कुमार पंड्या और प्रवेश कमेटी के सदस्य डॉ. विजय कुमार रमनानी, एलएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. दिव्य किशोर सत्पथी, एलएनसीटी के चेयरमैन जय नारायण चौकसे और चिरायु मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ.अजय गोयनका की अग्रिम जमानत अर्जियां खारिज कर दी गईं। हालांकि अभी आरोपियों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचा है। हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद तल्ख टिप्पणी में कहा था कि व्यापमं जैसे बड़े घोटाले की वजह से हजारों योग्य छात्र मेडिकल सीटों पर दाखिले से वंचित हो गए और अयोग्य छात्र पैसे के बल पर सीट हासिल करने में कामयाब हो गए। यह बेहद चिंताजनक बात है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अमूमन ऐसे बड़े घोटालों में ट्रायल के दौरान अमीर आरोपी तो बचकर निकल जाते हैं, लेकिन गरीब आरोपी फंस जाते हैं। इसका दुखदायी नतीजा यह होता है कि समाज के सामने न्यायिक व्यवस्था पर अंगुली उठना शुरू हो जाती है। हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि अग्रिम जमानत अर्जीकर्ताओं को सरेंडर करने का पूरा अवसर दिया गया था, जिसकी अनदेखी करके हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत हासिल करने का मंसूबा पाल लिया गया। कोर्ट ने 21 नवंबर को सीबीआई व आरोपियों को समन जारी करते हुए 23 को हाजिर होने के लिए कहा गया था। आरोपी हाजिर हो सकते थे, लेकिन नहीं हुए। इसी वजह से अरेस्ट वारंट जारी करना पड़ा। इस मामले में सीबीआई की तरफ से असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल जेके जैन ने अग्रिम जमानत अर्जियों का विरो किया।