मुंबई,क्रिटिक्स से जोरदार सराहना पाने वाली फिल्म ‘न्यूटन’ ऑस्कर की लिस्ट से बाहर हो गई है। राजकुमार राव की फिल्म ‘न्यूटन’ इस साल भारत की ओर से ऑस्कर के लिए फॉरन लैंग्वेज की फिल्म कैटिगरी में नॉमिनेट की गई थी। ऑस्कर के ट्विटर हैंडल से उन नौ फिल्मों की लिस्ट जारी की गई है, जो अकादमी अवॉर्ड्स की लिस्ट में जगह बना पाने में सफल रही हैं। ट्वीट में लिखा गया है, फॉरन लैंग्वेज फिल्म अवॉर्ड की लिस्ट में नौ फिल्मों के नाम हैं। ये फिल्में हैं, चिली के डायरेक्टर सेबेस्टियन लेलियो की ए फंटास्टकि वूमैन, जर्मनी के डायरेक्टर फैतिह अकीन की इन द फेद, हंग्री के डायरेक्टर डिको एमनायडी की ऑन बॉडी एंड सोल, इजरायली डायरेक्टर सैम्युअल मउज की फोक्सट्रोट, लेबनान के डायरेक्टर जैद डोउरी की द इनसल्ट, रुस के डायरेक्टर एनड्रूय जवयागिनिटसेव की लवलैस, सेनेगल के एलैन गोम्स की फेलीसाइट, दक्षिण अफ्रीकी डायरेक्टर जॉन ट्रेंगोव की द वाउंड और स्वीडन के डायरेक्टर रुबिन अस्टलौड की फिल्म द स्कवायर।
क्या है न्यूटन की कहानी
न्यूटन की कहानी नूतन कुमार (राजकुमार राव) की है, जिसने अपने लड़कियों वाले नाम को दसवीं के बोर्ड में ‘न्यूटन’ लिख कर बदल लिया है। अब सभी लोग उसे न्यूटन के नाम से ही जानते हैं। न्यूटन ने फिजिक्स में एमएससी की पढ़ाई की है। उसकी इलेक्शन में ड्यूटी लगती है, जिसके लिए उसे जंगल के नक्सल प्रभावित इलाके में जाकर वोटिंग करवानी पड़ती है। इलेक्शन की तैयारी के लिए न्यूटन की हेल्प संजय मिश्रा करते हैं। उसके बाद एक टीम, जिसमें लोकनाथ (रघुबीर यादव), मालको (अंजलि पाटिल), पुलिस अफसर आत्मा सिंह (पंकज त्रिपाठी) शामिल हैं, जंगली इलाके की तरफ बढ़ती है, जहां जाने पर पता चलता है की कुल मिलाकर वहां के 76 वोटर हैं, लेकिन वोट वाले दिन कोई नहीं आता। कुछ वक्त के बाद चीजें बदलती हैं और अंततः एक ख़ास तरह का रिजल्ट सामने आता है, जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
ऑस्कर जाने वाली दूसरी भारतीय फ़िल्में
विदेशी भाषा कैटेगरी में ‘न्यूटन’ से पहले अपुर संसार (1959), गाइड (1965), सारांश (1984), नायकन (1987), परिंदा (1989), अंजलि (1990), हे राम (2000), देवदास (2002), हरिचन्द्र फैक्ट्री (2008), बर्फी (2012) और कोर्ट (2015) शामिल हैं। केवल तीन भारतीय फ़िल्में ही फाइनल लिस्ट तक पहुंची हैं। इनमें महबूब खान की मदर इंडिया (1957), मीरा नायर की सलाम बॉम्बे (1988) और आशुतोष गोवारिकर की लगान (2001) शामिल है।