लखनऊ,चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि गांवों में भी वही स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, जो महानगरों में मिलती हैं। यह तकनीकी के बेहतर उपयोग से ही संभव है, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार होगा। इस उददेश्य की पूर्ति में ‘‘चरक एप्प’’ उपयोगी होगा। इसके जरिए दूर-दराज के इलाकों के चिकित्सक भी उपचार के आधुनिक तरीकों और अन्य चिकित्सा जानकारियां साझा कर सकेंगे।
सिंह ने चरक एप्प (सीएलआईआरनेट से संचालित) की शुरूआत करते हुए कहा कि यह एप चिकित्सकों के बीच एक तंत्र बनाता है, जो दूरी या बुनियादी ढांचे की परवाह किए बिना जानकारी देने में समर्थ है। इससे ग्रामीणों को उचित इलाज मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि यह एप यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में हर चिकित्सक जानकार हो और प्रदेश सरकार के विकसित मानक व उपचार के तरीकों का पालन करे।
मंत्री ने कहा कि यह एप संस्थाओं ओर विशेषज्ञों को चिकित्सकों के साथ जोड़कर उनको और प्रभावी बनाएगा। प्रदेश में आम आदमी के लिए समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ तालमेल बनाएगा। जिससे सही उपचार में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है ताकि समाज के अंतिम पायदान पर मौजूद जरूरतमंद व्यक्ति को इसका लाभ मिल सके।उधर,मस्तिष्क ज्वर के रोगियों को त्वरित और प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिए सर्वाधिक ग्रसित पूर्वांचल के नौ जिलों के 10 जिलास्तरीय चिकित्सालयों में पीडियाट्रिक इन्टेसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) का संचालन किया जा रहा है। पूर्व में परिवहन में लगने वाले समय के कारण भी रोगी की स्थिति गंभीर हो जाती थी। इस समस्या से निपटने के लिए ब्लाक से जनपद स्तर तक 104 इंसेफलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर (ईटीसी) की स्थापना की गई है। श्री सिंह बुधवार को हजरतगंज स्थित विकास भवन के पांचवे तल पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सभागार में जापानीज इंसेफलाइटिस और एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम पर रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्य कार्ययोजना एवं दिशा-निर्देश-2018 जारी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस कार्ययोजना एवं दिशा-निर्देर्शों के अनुसार कार्य कराकर इस रोग पर नियन्त्रण किया जायेगा। इसके लिए माॅनीटरिंग की समुचित व्यवस्था भी की जायेगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने जन सामान्य को यह सुविधाएं उपलब्ध करा कर रोगियों के उपचार में होने वाले बिलम्ब को कम किया है। पूर्व में टीकाकरण से लाभान्वितों का प्रतिशत संतोषजनक नहीं था। सिर्फ 17 प्रतिशत रोगी प्राथमिक एवं द्वितीयक स्वास्थ्य इकाईयों में भर्ती किए जाते थे। 83 प्रतिशत रोगी मेडिकल कालेजों में उपचार के लिए भर्ती होते थे। वहां तक पहुंचते-पहुंचते रोगी की स्थिति गंभीर हो जाती थी। राज्य सरकार के प्रयास से इन स्थितियों में परिवर्तन आया है। इस रोग की रोकथाम के लिए सार्थक प्रयास किए गए हैं। जापानीज इंसेफलाइटिस के टीकाकरण को एक महाअभियान का स्वरूप देते हुए लगभग 92 लाख बच्चों को प्रतिरक्षित किया गया है। टीकाकरण के प्रतिशत में बढोत्तरी की वजह से मस्तिष्क ज्वर की व्यापकता में गिरावट आने की पूरी संभावना है।