चने की फसल खराब होने पर उमरिया में फांसी पर झूला किसान

उमरिया,अपने खेत में चने की फसल खराब होने से आहत किसान ने खुदकुशी कर ली। उसपर कर्ज होने की बात भी कहीं जा रही है। मामला मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के भुंडी गांव का है। यहां किसान ने पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली है।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और शव को पेड़ से उतारा। किसान का नाम गोकुल पाल है। पुलिस ने शव को पीएम के लिए भेज दिया है। हालांकि पुलिस ने कारण स्पष्ट नहीं किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में आए दिन किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आ रहे है। सरकार की योजना और नीतियां किसान आत्महत्या को रोकने में असफल बनी हुई है। फसल खराब होने और कर्ज के नीचे दब जाने से प्रदेश का अन्नदाता परेशान हो उठता और कोई रास्ता ना निकलता देख आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है।
5 लाख किसानों को फायदा देंगे शिवराज
किसानों की बढ़ती समस्याओं और आत्महत्याओं को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार डिफॉल्टर किसानों का ब्याज माफ करने पर विचार कर रही है। इस विषय पर मंगलवार को बैठक होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। हालाकि सरकार जल्द ही अगली बैठक करेगी जिसमें किसानों को राहत मिल जाए। एक साल बाद होने वाले चुनावों के मद्देनजर सरकार यह फैसला ले सकती है। गौरतलब है कि मंदसौर घटना के बाद से ही किसानों में सरकार के प्रति भारी गुस्सा है। किसानों सहकारी बैंकों के माध्यम से कर्ज देने वाली योजना के माध्यम से दिया गया था। शिवपुरी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसको लेकर घोषणा भी कर चुके हैं।
संकट में किसान
5 लाख किसान किसानों ने सहकारी बैंकों से कर्ज और उसे चुका नहीं पाये। अब वे आगे शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेने से अपात्र हो गए हैं। अब सरकार चाहती है कि इन किसानों का ब्याज माफ करते हुए किस्तों में मूलधन लेकर शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज के लिए पात्र बनाया जाये।
डूबत खाते में कर्ज
डिफॉल्टर किसान कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए बैंकों की यह राशि डूबत खाते में चली गई। जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों से लेने हैं। फसल खराब होने से बीते तीन साल से वसूली 70 प्रतिशत के आसपास रही है। एक बार डिफॉल्टर होने पर 12-13 प्रतिशत ब्याज मिलाकर कर्ज चुकाना होता है, जो छोटे किसानों के लिए संभव नहीं होता है। ऐसे में इन्हें सरकार की योजना का फायदा नहीं मिल पाता है।

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