नई दिल्ली,अगर आप अपना वजन घटा लें तो टाइप-2 मधुमेह से आसानी से फुरसत पाई जा सकती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने अपने वजन प्रबंधन को गंभीरता से लागू किया उन दो में से एक प्रतिभागी को मधुमेह को हराने में सफलता हासिल हुई। इस अध्ययन में शामिल सभी प्रतिभागियों को छह साल पहले मधुमेह होने का पता चला था। अंतरराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में इस अध्ययन के नतीजे प्रकाशित किए गए हैं, जो बताते हैं कि मधुमेह के घटने का सीधा संबंध इस बात से है कि मरीज कितना वजन घटा सकता है। इस अध्ययन में शामिल 15 किलोग्राम तक वजन घटाने वाले 86 प्रतिशत प्रतिभागियों ने डायबटीज को पराजित करने में सफलता हासिल की। इसके अलावा दस किलोग्राम तक वजन घटाने वाले 73 प्रतिशत प्रतिभागियों के नतीजे भी करीब-करीब वैसे ही रहे।
मधुमेह में सुधार और कमी लाने के लिए जो लोग वजन कम करने की प्रक्रिया चुनने का फैसला करते हैं, चिकित्सक भी उन्हें ऐंटि-डायबीटिक और ऐंटि-हाइपरटेंसिव दवाएं नहीं देते। ऐसे प्रतिभागियों को तीन महीने के लिए अलग तरह का भोजन दिया जाता है और अगर प्रतिभागी चाहे तो इसे अगले पांच महीने बढ़ा सकता है। इस दौहान मरीजों को कम कैलोरी वाला भोजन (825 से 853 कैलरी प्रति दिन) दिया जाता है। मरीज की शारीरिक गतिविधियों में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की जाती है।
मधुमेह विशेषज्ञ डा. जगदीश सिंह ने कहा कि इस अध्ययन के नतीजे पथ-प्रवर्तक हैं। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। फॉर्टिस सी-डॉक हॉस्पिटल्स फॉर डायबीटीज के चेयरमैन डॉ अनूप मिश्रा का कहना है कि इस अध्ययन के उल्लेखनीय नतीजे सामने आने के बाद हम कई मरीजों से ‘जीवन भर के लिए डायबिटिक’ का लेबल हटा सकते हैं। डायबटीज मुख्य रूप से दो तरह का होता है पहला टाइप-1 और दूसरा टाइप-2। टाइप-1 मधुमेह में इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाले पैन्क्रियाज के सेल्स को नुकसान पहुंचाता है, जबकि 90 से 95 फीसदी होने वाले टाइप-2 मधुमेह में शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का संग्रहण नहीं कर पातीं या फिर पैन्क्रियाज बहुत कम इंसुलिन बनाता है। चिकित्सकों का कहना है कि मधुमेह के परंपरागत इलाज में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए जीवन भर दवाएं खानी पड़तीं हैं।