पणजी,मोदी सरकार के पूर्व रक्षामंत्री और वर्तमान में गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर ने पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी पर राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लटकाए रखने का आरोप लगाया।उन्होंने कहा कि इन फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों को हासिल कर लेने से भारत की हवाई क्षमता पाकिस्तान के मुकाबले काफी बढ़ जाएगी। यूपीए शासनकाल में रक्षामंत्री रहे एके एंटनी के बाद 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद मनोहर पर्रीकर रक्षा मंत्री बने थे। गोवा आर्ट्स एंड लिटरेचर फेस्टीवल में नितिन गोखले द्वारा लिखित किताब सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वे’ का विमोचन करने के बाद पर्रीकर ने बताया,राफेल सौदे से जुड़ी फाइलों पर एंटनी ने बड़ी अजीब नोटिंग की थी।उन्होंने फाइल पर लिखा था, चर्चा शुरू करें, कीमतें तय करें और हर काम पूरा करके कृपया मेरे पास आएं।जबकि सभी दस्तावेजी सुबूत कहते हैं कि राफेल कंपनी की कीमतें सबसे कम थीं। केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशानिर्देश कहते हैं कि आप सबसे कम कीमत वाले से ही बात कर सकते हैं। ढाई साल तक फाइल एक सर्किल से दूसरे सर्किल में घूम रही थी। हमारी सरकार इस सर्किल को तोड़ दिया।’
राफेल लड़ाकू विमानों की अधिक कीमतों के कांग्रेस के आरोप पर पर्रीकर ने कहा,लड़ाकू विमान सिर्फ एक एयरक्राफ्ट नहीं है,एयरक्राफ्ट तो संभवत:पूरी लागत का सिर्फ छोटा सा हिस्सा है। वास्तविक लागत तो विशेष उपकरणों की खरीद की होती है। इस सौदे में पायलट द्वारा पहने जाने वाले विशेष हेलमेट की कीमत भी शामिल है। इस पहनकर देखने से लक्ष्य को लॉक किया जाता है। इसकी दृश्यता 360 डिग्री है। इसमें पायलट को सिर्फ दुश्मन के लक्ष्य को देखना है और बटन दबाना है,बाकी काम कंप्यूटर कर देता है। सौदे में इस हेलमेट को विकसित किए जाने की लागत भी शामिल है।’
पूर्व रक्षामंत्री ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान बियांड विजुअल रेंज मिसाइलों की वजह से भारत पाकिस्तान को पीछे धकेल सका था,क्योंकि उस समय एसयू-30 और मिग-29 विमानों पर लगाई जा सकने वाली इन मिसाइलों की रेंज 30 किमी थी और पाकिस्तानी मिसाइलों की रेंज 20 किमी थी। लेकिन,अब उनकी मिसाइलों की रेंज 100 किमी है और भारतीय मिसाइलों की रेंज 60 किमी ही है। राफेल सौदे से भारत को पाक पर बढ़त मिल जाएगी क्योंकि इन पर लगी मिसाइलों की रेंज 150 किमी है।
पर्रिकर ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक्स (गुलाम कश्मीर और म्यांमार में) को अंजाम देने के लिए रणनीति इस कदर गोपनीयता के साथ बनाई गई थी कि सेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकों के दौरान मोबाइल फोन को न सिर्फ बंद कर दिया गया था बल्कि उन्हें 20 मीटर दूर रखा गया था। उन्होंने कहा,उन्हें इस बात का गर्व है कि सर्जिकल स्ट्राइक्स से जुड़े ज्यादातर तथ्य आज तक लीक नहीं हुए। उन्होंने बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक्स को अंजाम देने के लिए जरूरी उपकरणों की तुरंत खरीद के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को विदेश भी भेजा गया था। उन्होंने उड़ी और सर्जिकल स्ट्राइक के वास्तविक स्थल के बीच 18-19 बैठकें की थी। इनमें सेना के शीर्ष अधिकारियों के अलावा रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के अधिकारी शामिल होते थे, इसके बावजूद कोई तथ्य आज तक लीक नहीं हुआ। पूर्व रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में विदेश मंत्रालय की भूमिका को कमतर करते हुए कहा कि इस मामले में पर्दे के पीछे के असली खिलाड़ी रक्षा मंत्रालय के अधिकारी होते हैं। उन्होने कहा कि विदेश मंत्रालय तो कूटनीति का सिर्फ चेहरा भर होता है।