नई दिल्ली,जीवित नवजात को मृत घोषित करने के मामले में शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद होने के बाद अस्पताल से बर्खास्त नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. एपी मेहता का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने बच्चे को मृत घोषित करने से इन्कार किया है। बयान में कहा गया कि नवजात बच्चे की स्थिति के बारे में परिजनों को पूरी जानकारी दी गई थी, परिजनों ने बच्चे को रेसिसिटेशन (पुन: होश में लाने की प्रक्रिया) देने से मना किया था। डॉक्टर का कहना है कि 20 वर्षीय वर्षा को अस्पताल में भर्ती करने के बाद परिजनों को प्रसव के बाद की परिस्थितियों की जानकारी दी गई थी। उन्हें बताया गया था कि ऐसी परिस्थिति में बच्चे के बच पाने की संभावना बहुत कम है। यदि बच्चा बच भी गया उसका शारीरिक विकास प्रभावित हुए बिना उसके ठीक रहने की उम्मीद बहुत कम है। यह भी जानकारी दी गई थी कि बच्चे को लंबे समय तक नर्सरी में रखना पड़ सकता है। इलाज के खर्च की जानकारी भी दी गई थी। उन्हें बच्चों के सामान्य होने की गारंटी भी नहीं दी गई थी। इसके अगले दिन सुबह 7:30 बजे उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। जिसमें से एक लड़की मृत जन्म ली थी। दूसरे बच्चे (लड़का) को रेसिसिटेशन देने के लिए प्रसव कराने वाले डॉक्टर ने परिजनों से पूछा, जिस पर उन्होंने इन्कार कर दिया।
– पिता ने इंटरवेंशन से मना किया
बयान में डॉक्टर मेहता का कहना है कि बच्चे को मैने भी देखा और उसके पिता को बताया कि बच्चे की हृदय गति बहुत कमजोर है। पिता ने इंटरवेंशन से मना किया। डॉक्टर का कहना है कि डॉ. विशाल ने दोपहर में बच्चे की जांच की। तब हृदय की धड़कन की आवाज सुनाई नहीं दी। नर्स को यह जानकारी देकर उन्होंने कुछ देर तक इंतजार करने के लिए कहा।
– परिजनों का इन्कार
बच्चे को डॉक्टर की स्वीकृति के बगैर परिजनों को सौंप दिया गया। हालांकि परिजनों ने इस बात से इन्कार किया कि उन्होंने रेसिसिटेशन देने से मना किया। उनका कहना है कि डॉक्टर ने इलाज के खर्च के बारे में जानकारी जरूर दी थी पर यह नहीं बताया था कि रेसिसिटेशन देने से बच्चे पर क्या असर पड़ सकता है। बच्चा चाहे जिस अवस्था में हो क्या कोई अपने बच्चे का इलाज करने से डॉक्टरों को मना कर सकता है।