मुंबई,देशभर के घर खरीददारों को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट ऐक्ट (रेरा) चालू प्रॉजेक्ट्स पर भी लागू होगी। साथ ही हाईकोर्ट ने रेरा की संवैधानिक वैधता को भी बरकरार रखा है। इस कानून को हाल ही में संसद से मंजूरी मिली है। यह कानून घर खरीदने वालों के अधिकारों की रक्षा करता है। इसके साथ ही घर खरीददारों की समस्याओं के निदान की राह सुझाता है। हालांकि, हाईकोर्ट के फैसले में बिल्डरों को भी थोड़ी राहत दी गई है। हाईकोर्ट ने बिल्डरों को रेरा के तहत परियोजनाएं पूरी करने की समयसीमा को लेकर राहत दी है। अब कुछ मामलों में बिल्डरों को प्रॉजेक्ट पूरा करने के लिए अधिक समय मिलेगा। यह अतिरिक्त समय हर मामले में अलग-अलग तय किया जाएगा। जस्टिस नरेश पाटिल और आरजी केतकर की खंडपीठ ने अलग-अलग, लेकिन एक से ही फैसले दिए। रजिस्ट्रेशन के दौरान प्रॉजेक्ट के प्रमोटर की ओर से दी गई डेडलाइन में एक साल की छूट मिल सकेगी।
रेरा को लेकर बिल्डर्स की ओर से हाई कोर्ट में दर्ज की गई याचिकाओं के तहत यह पहला फैसला है। सितंबर में ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को इस मामले में सुनवाई करने की बात कही थी। शीर्ष अदालत ने रेरा पर बिल्डर्स की आपत्तियों पर सुनवाई का जिम्मा हाईकोर्ट को दिया था, जबकि अन्य हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी थी। बिल्डरों ने खासतौर पर रेरा के सेक्शन-3 को लेकर आपत्ति जताई थी, जिसके तहत फिलहाल चल रहे प्रॉजेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन को भी अनिवार्य किया गया है, जिनका कंप्लीशन सर्टिफिकेट 1 मई, 2018 या उसके बाद मिलना है। इस पर आपत्ति जताते हुए बिल्डर्स का कहना था कि इसके चलते उन्हें बीते समय में हुई देरी का भी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके अलावा बिल्डर्स ने कुछ प्रावधानों को भी खत्म करने की मांग की थी। जैसे, खरीददारों से मिली रकम के 70 फीसदी हिस्से को एक अलग अकाउंट में जमा करना और प्रॉजेक्ट की डेडलाइन को एक साल से अधिक न बढ़ाना। यही नहीं पूर्व में तय की गई तारीख पर प्रॉजेक्ट की डिलिवरी न कर पाने पर बायर्स को जुर्माना देने के नियम पर भी बिल्डर्स को आपत्ति है। हाईकोर्ट की ओर से बुधवार को दिए गए फैसले के बाद यूपी, तेलंगाना, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के घर खरीददारों राज्य सरकार के उन नियमों को चुनौती दे सकेंगे, जिनके तहत बिल्डर्स को प्रॉजेक्ट्स में देरी पर राहत दी गई है। राज्य सरकारों ने देरी से चल रहे तमाम प्रॉजेक्ट्स को रेरा से बाहर करते हुए यह राहत दी थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।