भोपाल, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सी.बी.आई. से व्यापम महाघोटाले में पी.एम.टी. 2012 की परीक्षा में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और मुख्यमंत्री के निज सचिव प्रेमसिंह को भी आरोपी बनाने को कहा है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सी.बी.आई. के निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि सी.बी.आई. ने व्यापमं महाघोटाले में पी.एम.टी. 2012 मामले में 21 नवंबर 2017 को जो चार्जशीट सी.बी.आई. की विशेष अदालत के समक्ष पेश की उसको लेकर शुरू दिन से ही सवाल खड़े होने लगे थे, इसमें राजनीतिक रसूख रखने वालों को बचाया जा रहा है। इस चार्जशीट में मुख्यमंत्री के निज सचिव रह चुके प्रेमसिंह का भी नाम नहीं था, जिनकी बेटी का इसी परीक्षा में चयन हुआ था। इन्हें बाद में जमानत पर भी छोड़ा गया|
नेता प्रतिपक्ष ने कहा की इसी तरह इस चार्जशीट में मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित सत्ता शीर्ष से जुड़े लोगों को शामिल नहीं किया। नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि जब चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अजय तिर्की का नाम उसमें है तो फिर उसी विभाग के मंत्री जी उसमें कैसे छूट गए ? जबकि किसी फाइल में अंतिम अनुमोदन में उनके हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। इससे लगता है कि सी.बी.आई. ने अपनी प्रतिष्ठा अनुसार बारीकी से या तो जांच नहीं की या जानबूझकर रसूखदारों को बचाया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सी.बी.आई. जांच का निर्णय तब लिया जाता है जब स्थानीय जांच एजेंसी पर भरोसा न हो और मामला इतना संगीन हो की उसमें राजनीतिक रसूखदार शामिल हों, ऐसी स्थिति में निष्पक्ष जांच के लिए सी.बी.आई. को मामला सौंपा जाता है। व्यापमं महाघोटाले में कांग्रेस शुरू से ही मांग करती रही है, इस भरोसे के साथ कि इसकी जांच सी.बी.आई. को सौंपी जाए ताकि घोटाले करने वाले और उन्हें संरक्षण देने वाले पकड़े जाएं, लेकिन दुःखद है कि सी.बी.आई. ने अपने भरोसे और प्रतिष्ठा के अनुरूप इस मामले में सघनता के साथ जांच न करते हुए सिर्फ और सिर्फ सतही कार्यवाही कर अपने दायित्व को पूरा करने का प्रयास किया है।
नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में लिखा कि सी.बी.आई. को इस मानसिकता के साथ काम करना चाहिए कि व्यापमं महाघोटाला बगैर राजनीतिक संरक्षण और समर्थन के बगैर संभव नहीं था। सी.बी.आई. ने इसकी जड़ में जो लोग हैं जिनकी वजह से प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद हुआ उनकी अनदेखी की है। नेता प्रतिपक्ष ने सी.बी.आई. डायरेक्टर से आग्रह किया कि इस मामले में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान में संसदीय कार्य, जनसंपर्क तथा जल संसाधन मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित उन सभी के नाम शामिल किए जाएं, ताकि सी.बी.आई. जैसी संस्था की प्रतिष्ठा बनी रहे और लोगों का भरोसा भी कायम रहे।