नई दिल्ली, आर्थिक गड़बड़ी करने के बाद विदेश भागने वालों के बुरे दिन आने वाले हैं।मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में आर्थिक अपराध कर देश से भाग जाने वालों के खिलाफ कानून बनाने के लिए बिल पेश करेगी। प्रस्तावित बिल को लॉ मिनिस्ट्री से मंजूरी मिलने के बाद सरकार संसद से इसे पास कराने की तैयारी में है। 15 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच होने वाले सत्र में तत्काल तीन तलाक के खिलाफ कानून और ओबीसी कमिशन को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित बिल को भी पास कराने की कोशिश होगी। विजय माल्या के देश छोड़कर लंदन भाग जाने के बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। सूत्रों के अनुसार बिल में पीएमओ के सुझाव पर एक बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब आर्थिक अपराध की सीमा 100 करोड़ से घटाकर 75 करोड़ कर दी गई है। पहले के बिल के अनुसार 100 करोड़ या इससे अधिक के फ्रॉड को ही इसमें शामिल करने का प्रस्ताव था। बिल के अनुसार अगर आर्थिक फ्रॉड का केस है और आरोपी देश से भागता है तो सरकार उसकी तमाम संपत्तियों को तत्काल जब्त कर सकेगी। सरकार का दावा है कि इस बिल के लिए विपक्षी दलों से भी बात हो चुकी है। हृष्टक्रक्च के ताजा आंकड़ों को देखें तो आर्थिक घोटाला या अपराध करने वाले लोग कमजोर कानून और लंबी न्यायिक प्रक्रिया के कारण बार-बार बच रहे हैं। 2016 में ऐसे मामलों में मात्र 5 गिरफ्तारियां हुईं, जबकि पूरे साल आर्थिक अपराध से जुड़े 1,43,524 मामले दर्ज हुए। इनमें 920 तो ऐसे मामले हैं जिनमें आर्थिक अपराध का केस एक करोड़ के आसपास का था। इनमें सबसे अधिक 111 मामले राजधानी दिल्ली में आए।
एनसीआरबी ने पहली बार अपने आंकड़ों में आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों को विस्तार से शामिल किया है। इससे यह बात सामने आई कि न सिर्फ इसके केस लगातार बढ़े हैं बल्कि कानूनी पेचीदगी के कारण न्याय और सजा के स्तर तक मामला पहुंचने में लंबा वक्त लगता है। आंकड़े के अनुसार ऐसे 4,95,522 केस कोर्ट में लंबित हैं जिनमें मात्र 3683 का फैसला हो पाया। संसद की एक समिति ने भी सरकार से आर्थिक अपराध से जुड़े मौजूदा कानून में बड़े पैमाने पर बदलाव करने के लिए पहल करने को कहा था। समिति का कहना था कि इससे जुड़े कई कानून पुराने हो चुके हैं।