मुंबई,आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा शेख अब्दुल नईम मंगलवार को लखनऊ में चारबाग बस डिपो के पास पकड़ा गया था। महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का रहने वाला नईम लखनऊ कैसे पहुंचा, इसकी कहानी एक दशक से भी ज्यादा पुरानी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नईम औरंगाबाद आर्म्स केस की साजिश में शामिल था। लेकिन मई-2006 में इस केस में जब उसके कई साथी पकड़े गए, तब वह ढाका में था। उसके बाद वह कभी औरंगाबाद वापस नहीं आया, बल्कि ढाका व भारत के कई शहरों में छिपता रहा। इनमें कोलकाता और लखनऊ भी शामिल थे। कोलकाता में वह फल बेचने का धंधा करता था। चूंकि लखनऊ के मलिहाबाद के दशहरी आम पूरी दुनिया में मशहूर हैं, इसलिए वह आम लेने के लिए लखनऊ नियमित आता था।
कोलकाता में उसका फल का धंधा पाकिस्तानी आतंकी अमजद ने शुरू करवाया था। इसके लिए उसने उसे एक लाख 30 हजार रुपये भी दिए थे। वह इस व्यवसाय में नया था, इसलिए उसने कोलकाता के फल व्यापारी नन्हें की मदद ली थी। नन्हें ने उसकी शौकत नामक एक एजेंट से मुलाकात करवाई थी। इसी शौकत ने उसकी बांग्लादेश सीमा पार करवाने में मदद की थी। एक बार इसी शौकत ने नन्हें से झूठ बोला था कि नईम पुलिस द्वारा पकड़ा गया है और उसे जमानत दिलवाने के बहाने शौकत ने नन्हें से 10 हजार रुपये ले लिए थे। नईम को 28 मार्च-2007 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में वैनापोल -पेट्रोपोल पोस्ट पर बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स के अधिकारियों द्वारा पकड़ा गया था। इसके बाद उसे हैदराबाद पुलिस को फर्जी पासपोर्ट केस में सौंप दिया गया था। वहां से उसे जब औरंगाबाद आर्म्स केस में मुंबई एटीएस को दिया जाने वाला था, उसी दौरान वह पुलिस हिरासत से भाग गया था, लेकिन कुछ ही घंटे बाद उसे गिरफ्तार करने में जांच एजेंसियां कामयाब हो गई थीं। दूसरी बार वह अगस्त-2014 में पुलिस हिरासत से छत्तीसगढ़ में चलती ट्रेन से तब भाग गया था, जब उसे औरंगाबाद आर्म्स केस की सुनवाई के सिलसिले में कोलकाता से मुंबई लाया जा रहा था। पता चला है कि इस फरारी के बाद वह अधिकतर समय बांग्लादेश में ही रहा।
नईम से पूछताछ में पता चला कि उसने बांग्लादेश की पहली यात्रा मई-2006 में की थी। तब किसी अमजद उर्फ हमजा ने उसे वहां बुलाया था। इसी हमजा से वह मिलने जून-2006 में फिर वहां गया। वह तीसरी बार वहां अगस्त, सितंबर-2006 में गया। इस बार वह अपने साथ एक पाकिस्तानी और एक कश्मीरी को सीमा पार कराके पश्चिम बंगाल लाया। वहां हावड़ा से उसने अमृतसर की ट्रेन पकड़ी और फिर अमृतसर के एक पिक-अप पॉइंट पर इन आतंकवादियों को लश्कर के पंटरों को सौंप कर वापस पश्चिम बंगाल चला गया। अमृतसर से फिर इन आतंकियों को बस के जरिए जम्मू कश्मीर ले जाया गया। उसी साल अक्टूबर-नवंबर में अपनी चौथी यात्रा और जनवरी-2007 में अपनी पांचवीं ट्रिप में भी वह इसी तरह दो पाकिस्तानी व आतंकी ट्रेनिंग के लिए वहां गए दो कश्मीरियों को बांग्लादेश से सीमा पार करा कर जम्मू कश्मीर तक पहुंचाने में कामयाब हुआ था। पर जब मार्च-2007 में वह अपनी छठी यात्रा में मोहम्मद युनूस, अब्दुल्ला नामक दो पाकिस्तानी और मोहम्मद अहमद राथार नामक जम्मू कश्मीर के एक लश्कर आतंकी को बांग्लादेश सीमा से भारत ला रहा था, तभी बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स के लोगों ने सभी को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद नईम के घर की तलाशी में एसके समीर नाम का फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस मिला था, जिस पर पता, बर्मन स्ट्रीट, कोलकाता-7 लिखा हुआ था।