मुंबई पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने 2003-2004 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में अनुभवी स्पिनर अनिल कुंबले के चयन के लिए अपनी ओर से जबरदस्त दबाव बनाया था जबकि राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने कुंबले को बाहर करने का फैसला कर लिया था। गांगुली ने एक प्रचार कार्यक्रम के दौरान स्वयं इसका खुलासा किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको कुंबले का उदाहरण देता हूं जो कि पिछले 20-25 वर्षों में भारत के सबसे बड़े मैच विजेता रहे हैं। मुझे याद है कि ऑस्ट्रेलिया के 2003 के दौरे से ठीक पहले मैं चयनसमिति की बैठक में था। मैं टीम का कप्तान था और जानता था कि चयनकर्ता अनिल को दौरे पर भेजने तैयार नहीं हैं।’ गांगुली ने कहा, ‘मैं जैसे ही चयन समिति की बैठक में पहुंचा तो समझ गया कि चयनकर्ताओं ने अनिल को बाहर करने का मन बना लिया है। मैंने उनसे आग्रह किया और कहा कि वह मैच विजेता हैं और उन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिये बहुत कुछ किया है। उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे की टीम में होना चाहिए और चयनकर्ता इसके लिये तैयार नहीं थे।’
गांगुली ने कहा, ‘चयनकर्ता तब बायें हाथ के स्पिनर को टीम में रखना चाहते थे क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई बायें हाथ के स्पिनर को अच्छी तरह से नहीं खेल पाते हैं। बैठक दो घंटे तक चली। इसमें देर हो रही थी और जॉन राइट मेरे पास आये और कहा कि सौरभ इसको समाप्त करो और उनकी बात मान लो। मुझे पूरा विश्वास है कि हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे।’ गांगुली ने बताया कि उस वक्त उन्होंने कोच जॉन राइट से कहा कि अगर कुंबले को इस दौरे पर नहीं चुना जाता है तो हो सकता है कि वह दोबारा भारत के लिये नहीं खेल पाये। मैंने कहा कि जब तक अनिल को टीम में नहीं रखा जाता है मैं चयन वाली शीट पर हस्ताक्षर नहीं करुंगा।’
इसके बाद चयनकर्ता मेरे रवैये से परेशान हो गये थे और उन्होंने कहा कि अगर मैं अच्छा नहीं खेलता, अगर टीम अच्छा नहीं खेलती है और अगर कुंबले अच्छा नहीं खेलता है तो सबसे पहले मुझे बाहर किया जाएगा। मैंने कहा कि ठीक है मैं यह जोखिम उठाने के लिये तैयार हूं और देखेंगे कि क्या होता है। इसके बाद कुंबले को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिये चुन लिया गया और इस गेंदबाज ने एक बार फिर अपने नाम के अनुरुप शानदार प्रदर्शन करते हुए साल में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकार्ड बनाया।