गाजियाबाद, समाज में कभी -कभी इसतरह की मामले सुनने में मिलते हैं जो कि अंतरआत्मा को दुखा देते है। इसी तरह का एक मामला अभी प्रकाश में आया है। जहां बूढ़े पिता से सारी संपत्ति अपने नाम करवाने के बाद बेटों ने उन्हें भीख मांगने के लिए सड़क पर छोड़ दिया। हालात ये हो गए कि बाप को अपने बेटों के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार पिता की जीत हुई। अदालत ने पीड़ित की अर्जी पर सुनवाई करने के बाद दोनों बेटों को आदेश दिया है कि वे हर महीने की 10 तारीख को अपने पिता को 15-15 हजार रुपये देने का काम करें ताकि वह ठीक से जीवनयापन कर सकें। थाना निवाड़ी के अबूपुर गांव में रहने वाले महाराज सिंह (72) के तीन बेटों लविंद्र,रविंद्र और जितेंद्र में लविंद्र की मौत हो चुकी है। महाराज सिंह की पत्नी की भी मौत हो गई है। उन्होंने अपनी करोड़ों रुपये की पैतृक कृषि भूमि अपने दोनों बेटों में बांट दी। कुछ साल पहले उन्होंने 47 लाख रुपये में थोड़ी जमीन बेची थी। यह रकम भी उन्होंने बेटों को दे दी थी। रविंद्र और जितेंद्र ड्राइवर हैं। सारी संपत्ति मिलने के बाद करीब चार साल पहले दोनों ने पिता को खाना देना बंद कर दिया और एक दिन मारपीट कर उन्हें घर से निकाल दिया। कोई सहारा नहीं होने के कारण महाराज सिंह को भीख मांगकर गुजारा करना पड़ा। बताया जा रहा है कि वह रात को गांव के ही मंदिर में सोते हैं।
इसके बाद महाराज सिंह ने जुलाई 2013 में कोर्ट में अर्जी दाखिल करके बेटों से भरण-पोषण दिलाए जाने की गुहार लगाई थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट सेकंड के न्यायाधीश कमलेश कुमार ने मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए रविंद्र और जितेंद्र को आदेश दिया कि वे अपने पिता को 15-15 हजार रुपये देंगे। माता-पिता का स्थान मनुष्य के जीवन में सर्वोपरि है। माता-पिता के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार किया जाना मानवता को शर्मसार करने जैसा है।