उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर- SC ने कहा कभी नहीं दिया आदेश धार्मिक अनुष्‍ठान कैसे किए जाए

नई दिल्ली,गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति को तुरंत वो नोटिस बोर्ड हटाने को कहा, जिसमें लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूजा के नियम बनाए गए हैं। कोर्ट ने साफ करते हुए कहा कि ये आदेश कभी नहीं दिया कि धार्मिक अनुष्ठान कैसे किए जाएं और ना ही ये कहा कि भस्म आरती कैसे हो। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कोर्ट को मंदिर और पूजा के रीति रिवाजों से कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट ने ये मामला सिर्फ शिवलिंग की सुरक्षा के लिए सुनकर विशेषज्ञों कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मंदिर प्रबंधन समिति ने ये प्रस्ताव पेश किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर इस मामले में मीडिया गलत रिपोर्टिंग करता है या पक्षकार मीडिया में गलत बयानी करता है तो उसके खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन से नाराजगी जाहिर की थी और कहा इस मसले पर हमने कोई आदेश नहीं दिया तो इस तरह से प्रोजेक्ट क्यों किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन से पूछा क्या ऐसा कोई बोर्ड मंदिर में लगा है जहां ये लिखा हुआ है कि मंदिर में पूजा के नए नियम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किये गए है। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को कहा कि बोर्ड की तस्वीर खींच कर तुरंत कोर्ट को दे कि उसमें क्या लिखा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा है तो हम जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाएंगे। कोर्ट ने नोटिस देखने के बाद ये आदेश जारी किए। बता दें कि 27 अक्तूबर को उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग का मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंदिर प्रशासन ने 8 प्रस्तावों दाखिल किए थे।
श्रद्धालु 500 मिली लीटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे , जल सिर्फ आरओ का होगा ,भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरा ढका जाएगा। अभी तक 15 दिनों के लिए आधा ढका जाता था। अभिषेक के लिए हर श्रद्धालु को 1.25 दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाजत होगी। शिवलिंग पर शुगर पाउडर लगाने की इजातत नहीं होगी बल्कि खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे और बेल पत्र व फूल पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग में चढेंगे ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो। शाम पांच बजे के बाद अभिषेक पूरा होने के बाद शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी। अभी तक सीवर के लिए चल रही तकनीक चलती रहेगी क्योंकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के बनने में एक साल लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई,जियोलाजिकल और याचिकाकर्ता को आपत्ति या सुझाव देने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था।

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