बिलासपुर,हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में आज संसदीय सचिव मामले में लगभग तीन घंटे तक बहस चली । हाईकोर्ट ने मामले को संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हुए लगातार सभी पहलुओ पर सुनवाई करने की बात कही। अगली सुनवाई 12 दिसम्बर को होगी।
मामले पर आज संसदीय सचिव की नियुक्ति को असंवैधानिक बताने वाली याचिका पर हाईकोर्ट में जस्टिस टीबी राधाकृष्णन व जस्टिस शरद गुप्ता की डिवीजन बेंच में लगातार तीन घंंटे तक बहस चली। बेंच ने कहा कि यह मामला संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसके सभी पहलुओ पर वह विचार करेगी। अब इस मामले कि अगली सुनवाई 12 दिसम्बर को होगी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा था कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति जब राज्यपाल ने नहीं की तो उनका पद संवैधानिक नहीं हो सकता। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद संसदीय सचिवों के सभी अधिकार व स्वेच्छानुदान पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी संसदीय सचिवों द्वारा शासकीय सुविधाओं का इस्तेमाल करने को लेकर मोहम्मद अकबर ने हाईकोर्ट की अवमानना का मामला भी दायर किया है। हमर संगवारी संस्था के राकेश चौबे व कांग्रेस के मोहम्मद अकबर ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर कर राज्य के संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया था। उनका कहना है कि संसदीय सचिव जैसे पद का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन भाजपा सरकार ने अपने लोगों को लाभ पहुंचाने प्रदेश में ग्यारह ससंदीय सचिवों की नियुक्ति की है। इसके पहले सुप्रीमकोर्ट ने असम और सिक्किम के मामलों में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक माना है।
ये है 11 संसदीय सचिव
शिवशंकर पैकरा, लखन देवांगन, तोखन सिंह, राजू सिंह क्षत्री, अंबेश जांगड़े, रूप कुमारी चौधरी, गोवर्धन सिंह,लाभचंद बाफना, मोती राम चंद्रवंशी, चंपादेवी पावले, सुनीती सत्यानंद राठिया।