अहमदाबाद, 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव कई मामलों में अनोखा है। 1995 के बाद पहली बार यहां की मुस्लिम आबादी हाशिए पर है। इस बार कांग्रेस भी मुसलमानों को केंद्र बिंदु ना बनाकर पाटीदार दलित और आदिवासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रचार कर रही है। गुजरात में मुस्लिमों की आबादी लगभग 10 फ़ीसदी है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होने के बाद भी कांग्रेस इस बार मुस्लिमों के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान कोई बात नहीं कर रही है। वहीं भारतीय जनता पार्टी का चुनाव प्रचार पूरा हिंदुत्व पर आधारित है। भाजपा की कोशिश है कि हिंदुओं को एकजुट करके उन्हें जातीय और धार्मिक आधार से अलग रखा जा सकता है। इस रणनीति पर भाजपा का पूरा ध्यान है।
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा की किसी भी सीट से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है वहीं पाटीदारों को 45 सीटें देकर कांग्रेस को चुनौती देने की कोशिश की है। 1995 के बाद पहली बार गुजरात विधानसभा के चुनाव में जातीय समीकरण देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने 6 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं।
2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 25 मुस्लिम बाहुल्य सीटों में से 17 पर कब्जा किया था। कांग्रेस को केवल 8 सीटें मिली थीं। 2007 के चुनाव तक मुस्लिम कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते थे। किंतु 2012 में यह मिथक टूट गया था। नगरीय चुनाव में भाजपा ने सैकड़ों मुस्लिमों को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से टिकट दी थी, किंतु विधानसभा क्षेत्र से भाजपा मुस्लिमों को चुनाव मैदान में नहीं उतारती है।
प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस बार जातीय आधार पर राजनीति कर भाजपा को कड़ी चुनौती दे रही है। पिछड़े वर्ग के अल्पेश ठाकुर, दलित युवा जिग्नेश और हार्दिक पटेल कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं। पहली बार युवा मतदाता कांग्रेस के पक्ष में खुलकर सामने आया है। वहीं छोटू वसावा जो आदिवासियों के बड़े नेता माने जाते हैं। वह भी कांग्रेस के साथ हैं, कांग्रेस द्वारा इस बार मुस्लिमों को सामने लाने या मुस्लिम आधारित चुनाव प्रचार नहीं करने से भारतीय जनता पार्टी को हिंदुत्व के आधार पर मतदाताओं को जोड़ने में परेशानी हो रही है, जिसके कारण सीधे मुकाबले में टक्कर बहुत कड़ी हो गई है।
भय की राजनीति
भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से अपने कार्यकर्ताओं, सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से हिंदुत्व को लेकर मतदाताओं को एकजुट करने के लिए मुस्लिमों का भय दिखाया जा रहा है, उससे गुजरात का मतदाता कहीं ना कहीं उद्वेलित हो रहा है। भाजपा ने आसपास के प्रदेशों से और संघ के हजारों कार्यकर्ताओं को गुजरात में भेजकर आम मतदाताओं को मुसलमानों से डराने और यदि कांग्रेस चुनाव जीतती है, तो उससे मुस्लिमों की ताकत बढ़ेगी। यह कहकर मतदाताओं में भय पैदा किया जा रहा है। इसका कितना असर चुनाव में होगा अभी यह कहना मुश्किल है। किंतु कांग्रेस द्वारा मुस्लिमों की पैरवी नहीं किए जाने से जातीय समीकरण मजबूत देखने को मिल रहा है।