नई दिल्ली, संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक लेकर आएगी। तीन तलाक, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, दिवालिया संशोधन विधेयक, इत्यादि महत्वपूर्ण प्रस्ताव सरकार इस सदन में रखेगी।
15 दिसंबर को शुक्रवार है। सदन को बैठक् एक ही दिन चलेगी। इसमें भी श्रद्धांजलि के बाद कार्यवाही अगले दिन के लिए भी टल सकती है। संसद की दूसरी बैठक 18 दिसंबर सोमवार को होगी। इस दिन गुजरात और हिमाचल विधानसभा के चुनाव परिणाम भी आना है। चुनाव परिणाम तय करेंगे कि, शीतकालीन सत्र किस दिशा में जाएगा।
इस बार विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए काफी तैयारी कर रखी है। शीतकालीन सत्र में विपक्ष भी एकजुट होता दिख रहा है। नोटबंदी और जीएसटी की विफलता के बाद अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती, बेरोजगारी, महंगाई, राफेल सौदे का घोटाला, विपक्षी नेताओं पर सीबीआई और केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय का उत्पीड़न और झूठे मुकदमे के आरोपों से सरकार को घेरने का प्रयास विपक्ष करेगा।
– विपक्ष होगा आक्रमक
गुजरात विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा ने अपनी सारी ताकत झोंक दी है। उसके बाद विपक्ष अपने आपको काफी मजबूत स्थिति में पा रहा है। इस शीतकालीन सत्र में गुजरात विधानसभा के चुनाव परिणाम मैं भाजपा थोड़ा सा भी कमजोर हुई तो इसका असर शीतकालीन सत्र में देखने को मिलेगा। पनामा और पैराडाइज मामले में भी विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में लगा हुआ है। विपक्ष के पास इस बार सरकार के खिलाफ मुद्दे बहुत भी हैं। पहली बार मोदी सरकार भ्रष्टाचार के आरोप में घिरती हुई दिख रही है।
– भाजपा नेताओं के बगावती तेवर
पूर्व वित्त मंत्री तथा भाजपा के सांसद यशवंत सिन्हा और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने जिस तरह हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधा है। उसके बाद भाजपा के कई नेताओं के बगावती तेवर देखने को मिलने लगे हैं। 2 राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में जो शांति अभी दिख रही है। वह बगावत के रूप में परिवर्तित हो सकती है। लोकसभा के कई सांसद अपनी टिकट को लेकर चिंतित हैं। वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव में जिस तरीके की तल्खी मतदाताओं के बीच देखने को मिली है। उससे भाजपा के नेता भी काफी चिंतित हो उठे हैं। इस शीतकालीन सत्र में सबसे ज्यादा प्रभाव गुजरात विधानसभा चुनाव का परिणाम डालेगा।
– कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी एकता
गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह से अकेले चुनाव प्रचार और टिकट वितरण की कमान संभाली है। भाजपा तथा नरेंद्र मोदी को घेरने का प्रयास किया है। गुजरात विधानसभा के चुनाव में भाजपा को पूरा केंद्रीय मंत्रीमण्डल झोंकना पडा। साधु संतों और प्रवचनकारों ने मोर्चा संभाला है। सत्ता पक्ष की इस घबराहट से विपक्ष उत्साहित हुआ है। उससे विपक्षी दलों में राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता को लेकर एक नया विश्वास बना है। शीतकालीन सत्र में विपक्ष एकजुट हो रहा है। यह सरकार के लिए ठीक स्थिति नहीं है।