अशोकनगर, करमसी गांव के कृषकों पर महिला रेंजर द्वारा की गई एफआईआर को किसानों द्वारा झूठा बताते हुये एसपी से की गई शिकायत को लेकर मंगलवार को वन विभाग के डीएफओ और रेंजर द्वारा पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। प्रेसवार्ता दौरान वन विभाग के डीएफओ ने बताया कि 25 नबम्वर को करमसी गांव के कृषकों द्वारा वन भूमि पर अतिक्रमण कर खेती किये जाने की सूचना मिली थी।
जानकारी मिलने पर मिलने पर महिला रेंजर मोनिका ठाकुर ने करमसी गांव पहुंचकर देखा तो वहां वन विभाग के कुये से विभाग की जमीन में सिंचाई की जा रही थी। रेंजर द्वारा इसको रोकने का प्रयास किया तो किसान रेंजर भानिका ठाकुर से वहस करने लगे। वहीं रेंजर मोनिका ठाकुर ने किसानों पर आरोप लगाते हुय कहा कि जो मेरे द्वारा किसानों पर कार्रवाई करवाई है वह सत्य है। कब्जादारों द्वारा मुझे धक्का मार कर कुए में गिरा दिया और ऊपर से पत्थर फैंककर मारने का प्रयास किया गया। मेरे साथ गए स्टाफ द्वारा बमुश्किल मुझे कुए से बाहर निकाला और पुलिस को फोन लगाया। वहां पर पुलिस पहुंची तब मेने अपनी जान बचा पाई। इसी बीच डीएफओ व रेंजर मोनिका ठाकुर से पत्रकारों से सबाल किये गए कि कुए के अन्दर का वीडियो तो आपके पास है लेकिन धक्का मारते समय का वीडिया कहा है। जिसका कोई जबाव न देते हुये डीएफओर उठकर चले गये। उनके पीछे एसडीओ और रेंजर भी चली गईं।
उल्लेखनीय है कि बीती 25 नबम्वर को रेंजर मोनिका ठाकुर वन भूमि पर अतिक्रमण होने की जानकारी मिलने पर अपनी टीम के साथ करमसी गांव निरीक्षण पर पहुंची थीं। वहां पर रेंजर मौनिका ठाकुर और ग्रामीणों के बीच विवाद हो गया था। जिसको लेकर महिला रेंजर द्वारा थाना कचनार में किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया था। वहीं किसानों द्वारा एफआईआर को झूठा बताते हुये एसपी से शिकायत की गई है। किसानों का कहना है कि महिला रेंजर मोनिका ठाकुर द्वारा किसानों पर जानलेवा हमला करने के जो आरोप लगाए गए हैं, वह गलत हैं और कुये में धकेलने का आरोप भी लगत है। जिसको लेकर किसानों द्वारा एसपी एवं कलेक्टर को आवेदन देकर रेंजर के आरोप झूठे बताते हुये शिकायत की गई थी। जबकि हकीकत में यह जमीन विवादित है। जमीन का प्रकरण न्यायालय में चल रहा है अभी न्यायालय का कोई फैसला नहीं आया है। जमीन को वन विभाग अपनी बता रहा है और किसान अपनी बात रहे हैं। इस संबंध में वहां के हल्का के पटवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि यह भूमि वर्तमान में वन विभाग की है। इस मामले की जांच एसडीओपी का सौंपी गई। इसको लेकर डीएफओ द्वारा अपना पक्ष रखने के लिए पत्रकार वार्ता बुलाई गई थी लेकिन पत्रकारों द्वारा सबाल किये जाने पर बीच में ही उठकर भाग गये।