भोपाल,41करोड़ रुपए के आबकारी घोटाले का मुख्य आरोपी राजू दशवंतअम रावती महाराष्ट्र का रहने वाला है और सिर्फ 8 वीं कक्षा तक पढ़ा है और उसके। परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब है इसी दौरान वो 2012 में इंदौर आया। 2014 में एक शराब ठेकेदार के यहां साढ़े 12 हजार रुपए महीने में नौकरी शुरू की। बाद में 2015 में एटीएम ग्रुप के अंश त्रिवेदी (घोटाले में दूसरा मुख्य आरोपी, के यहां सेल्समैन के तौर पर काम करने लगा। अंश से चालानों की हेराफेरी करना सीखा और दो साल तक शासन की आंखों में धूल झौंकता रहा और अंश के साथ ट्रेजरी के चालानों में हेराफेरी कर करीब 80 करोड़ संपत्ति का मालिक बन गया। आरोपी राजू की गिरफ्तारी के बाद जांच में जुटी एसआईटी के पास इसकी सारी संपत्ति की जानकारी भी पहुंच गई है। पड़ताल में जो हैरान करने वाली बात सामने आई वो यह थी कि ये चालानों में हेराफेरी कर प्रति दिन 7 से 8 लाख रुपए कमा लेता था। इसे अंश से भी मोटा कमिशन मिलता था। साथ ही जिस शराब को ये चालानों में हेराफेरी कर एनओसी लेकर उठाते थे उसकी बिक्री पर भी अलग से कमिशन मिलता था। सूत्रों के मुताबिक राजू ने फर्जीवाड़े का खेल दिसंबर 2015 में धरमपुरी की देशी मदिरा की दुकान से शुरू किया था, लेकिन एसआईटी को पिगडंबर की एक शराब दुकान से फर्जीवाड़े की शुरुआत होने की जानकारी है। यह दुकान एटीएम ग्रुप ने लेकर शहर में कदम रखा था। आरोपी राजू एटीएम ग्रुप में बतौर सेल्स मेन के रूप में जुड़ा था। ग्रुप के संचालक अंश के साथ मिलकर ट्रेजरी के चालानों की हेराफेरी सीखी। इसने अपने ग्रुप से जुड़े जितेंद्र शिव रामे, जो की सब्जी का ठेला लगाता था उसे और लवकुश पांडे जो ड्राइवरी करता था, दोनों कई शराब दुकानों का ठेकेदार बना दिया था।