भिलाई,हिन्दी व भोजपुरी गायिका तथा अभिनेत्री हैप्पी राय ने कहा कि बचपन के शौक ने उन्हें सिंगर बनने की प्रेरणा दी। उनके साथ कार्यक्रम देने भिलाई आये इंडियन आइडल फेम प्रियंका सहवाल व गायक अभिनेता सुधीर संगम ने माना कि, भोजपुरी गीतों में फूहड़ता जरूरी तो नहीं लेकिन कभी-कभी मजबूरी बन जाती है।
भिलाई भोजपुरी सांस्कृतिक एवं लोककला मंच द्वारा बैकुण्ठधाम केम्प-2 में आयोजित भोजपुरी म्युजिकल नाईट में भाग लेने आये हैप्पी राय, प्रियंका सहवाल व सुधीर संगम ने पत्रकारों से औपचारिक चर्चा की। हैप्पी ने कहा कि वे मूलत: गाजियाबाद उत्तर प्रदेश की रहने वाली है। अब तक तकरीबन 800 स्टेज शो कर चुकी हैप्पी को बचपन से ही देश-विदेश घूमने का शौक था। इस शौक को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने संगीत को कैरियर के रूप में चुना। गाजियाबाद के रमाकांत तिवारी से उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहरण की। अभी तक हैप्पी ने भोजपुरी व हिन्दी के कई एलबम में न केवल गीतों को गाया है बल्कि अभिनय का जौहर भी दिखाया। बनारस की प्रियंका सहवाल ने क्लसिकल संगीत को प्राथमिकता देने की बात कही। इनकी सोच है कि दर्शक की डिमांड कैसी भी हो लेकिन हमें अपनी मर्जी से प्रोग्राम देना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे छत्तीसगढ़ में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की कोऑर्डिनेटर हैं और भिलाई में उनके कार्यक्रम के दौरान इस विषय पर अपनी बात जरूर रखेंगी। गाजीपुर निवासी गायक व अभिनेता सुधीर संगम ने कहा कि बचपन में वे बिरहा गाते थे। भोजपुरी गीत संगीत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हेंने 11 साल तक शिक्षा ली। अब तक ढाई हजार से यादा स्टेज शो कर चुके सुधीर संगम का मानना है कि भोजपुरी में फूहड़ता का समावेश कलाकार मजबूरी में करता है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि उनकी 50 से यादा एलबम हैं जिसमें से 45 एलबम फ्लॉप हो गये। ये एलबम ऐसे थे, जिसमें फूहड़ता या अशीलता बिल्कुल नहीं थी।