वाशिंगटन, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को मिस्र के सिनाई प्रांत में हुए आतंकवादी हमले पर शोक जताने के लिए राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल-सीसी से फोन पर बात की और कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवादियों के समूहों को बर्दाश्त नहीं करेगा। गौरतलब है कि अशांत उत्तरी सिनाई में आतंकवादियों ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान अल-अरिश शहर में स्थित अल-रौदा मस्जिद बम हमला किया जिससे कम से कम 235 नमाजियों की मौत हो गई और 109 अन्य घायल हो गए। व्हाइट हाउस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय बर्बर आतंकवादी समूहों को बर्दाश्त नहीं कर सकता है और उसे आतंकवाद और चरमपंथ को उसके सभी स्वरूपों में हराने के अपने प्रयास तेज करने चाहिए। बातचीत के दौरान ट्रंप ने मिस्र हमले में मारे गए लोगों के प्रति शोक प्रकट किया। व्हाइट हाउस के अनुसार ट्रंप ने हमले की निंदा की और दुहराया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका हमेशा मिस्र के साथ खड़ा रहेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने भी इस बर्बर और कायराना आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए कहा है कि ऐसा करने वालों को और इससे किसी भी रूप में जुड़े लोगों को न्याय की जद में लाया जाना चाहिए।
काहिरा -इधर,मिस्र के अल-आरिश शहर की अल-रावदा मस्जिद में शुक्रवार को हुए अब तक के सबसे भीषण आतंकी हमले में 235 लोग मारे गए हैं, जबकि 120 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हमले के बाद मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा इस घटना का बदला लिया जाएगा। मिस्र की सेना ने आतंकियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है। आतंकी हमले के बाद मिस्र में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। माना जा रहा है कि इस हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट (आईएस) का हाथ है, हालांकि उसने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। हमले का शिकार हुई मस्जिद में सूफी अनुयायी एकत्र होते थे और आईएस सूफियों को विधर्मी मानता है। राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने आपात बैठक कर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरिजा मे और नाटो के महासचिव जेंस स्टॉलटेनबर्ग ने हमले की निंदा की है। तुर्की, इटली और कुवैत ने भी इस आतंकी कार्रवाई की निंदा की है।
मिस्र की सेना के प्रवक्ता तमील अल रफई ने बताया वायुसेना ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू करते हुए उत्तरी सिनाई में बमबारी शुरू कर दी है। इस हमले को अंजाम देने के लिए हमलावरों ने शुक्रवार को अशांत उत्तरी सिनाई क्षेत्र के एक मस्जिद को निशाना बनाया। हमले के समय मस्जिद में जुमे की नमाज के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। आतंकियों ने पहले आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से धमाका किया और उसके बाद ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस घटना में 235 लोग मारे गए जबकि सवा सौ से अधिक घायल हो गए।
हमले की जिम्मेदारी अब तक किसी ने नहीं ली है, लेकिन इसके पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ माना जा रहा है। इस्लामिक स्टेट ही इस तरह की वारदातों को अंजाम देता रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मस्जिद के बाहर चार वाहनों में आतंकी पहले से मौजूद थे। उन्होंने धमाके के बाद बचने के लिए मस्जिद से बाहर भाग रहे श्रद्धालुओं पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। इस हमले में मस्जिद भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता खालिद मुजाहिद ने घटना को आतंकी वारदात करार दिया है। उन्होंने कहा कि यहां अक्सर सूफी मत के लोग जुटा करते हैं। इस्लामिक स्टेट सूफी मत मानने वालों को विधर्मी मानता है।