भोपाल,राजधानी के 22 निजी स्कूलों में कंपोस्ट यूनिट लगाने का काम शुरू हो गया है। शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों के टिफिन का बचा हुआ भोजन और पार्क से निकलने वाले जैविक कचरे से खाद तैयार की जाएगी। राजधानी के होटल, रेस्टोरेंट, मैरिज गार्डन के साथ ही अब शासकीय और निजी स्कूलों ने भी कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी। मालूम हो कि शहर में 100 से अधिक बड़े स्कूल हैं। मैरिज गार्डन, रेस्टोरेंट और स्कूल संस्थानों को मिलाकर अब तक करीब 115 कंपोस्ट यूनिट बनकर तैयार हैं। नवंबर आखिर तक यह आंकड़ा 150 तक पहुंच जाएगा। इसका बड़ा फायदा यह होगा कि शहर में बल्क में निकलने वाले कचरे में कमी आएगी, बाहर गंदगी नहीं फैलेगी और इस कचरे का सदुपयोग हो सकेगा। जैविक खाद बनने से संस्थानों की आय भी बढ़ेगी। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम 2016 के तहत सभी संस्थानों में कंपोस्ट यूनिट लगाना अनिवार्य है। निगम समझाइश देने के साथ ही नोटिस भी जारी करके यूनिट लगाने के लिए तैयार कर रहा है।
निगम की अधिकृत संस्था सार्थक कंपोस्ट यूनिट लगाने में तकनीकी सहयोग कर रही है। निगम का लक्ष्य शहर में 500 कंपोस्ट यूनिट स्थापित करवाने का है। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, मैरिज गार्डन, होटल और शैक्षणिक संस्थानों में बनने वाली खाद को उचित दाम पर बिकवाने के लिए शहर के आसपास के 352 किसानों को तैयार किया गया है। इसके अलावा ये संस्थान खाद का उपयोग अपने गार्डन में भी कर सकेंगे। इसके बाद भी यदि इन संस्थानों की कंपोस्ट यूनिट में ज्यादा मात्रा में खाद बनती है तो वे इसकी सूचना नगर निगम को देंगे। किसान सीधे ही इन संस्थानों से उचित दाम पर खाद खरीद सकेंगे। ज्यादा मात्रा में खाद का उत्पादन होने पर निगम प्रशासन किसानों की सुविधा के लिए विक्रय केंद्र भी स्थापित करेगा। संस्था के प्रमुख इम्तियाज अली का कहना है कि संस्थानों को प्रोत्साहित करने से अच्छे परिणाम आ रहे हैं। खास बात यह है कि कंपोस्ट यूनिट लगाने में तीन दिन का समय लगता है। प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी राकेश शर्मा ने बताया कि छोटी यूनिट पर 4700 रुपये खर्च होते हैं। इसके अलावा ज्यादा मात्रा में कचरा निकलता है तो 27 हजार, 47 हजार और चार लाख रुपए तक का खर्च आता है।