मुंबई,अब तक देश में बुलेट ट्रेन की बात चल रही थी लेकिन अब हवाई जहाज की रफ़्तार से भी तेज दौड़ने वाली हायपरलूप कैप्सूल ट्रेन चलाने की कवायद शुरु हो गई है. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो मुंबई से 12 मिनट में पुणे पहुंचना संभव हो सकता है. दरअसल हवाई जहाज की रफ़्तार से भी तेज दौड़ने वाली हायपरलूप कैप्सूल ट्रेन को वास्तविकता में लाने की तैयारी शुरू हो गयी है. इस हफ्ते से पुणे में इसके लिए स्टडी भी शुरू हो गई है. जो डेढ़ महीने में पूरी हो जाएगी. टेसला के सीईओ एलन मस्क की कंपनी हॉयपरलूप इस ट्रेन को बनाने जा रही है जो हवाई जहाज से भी तेज चलेगी. पुणे मेट्रोपॉलिटन रिजन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (पीएमआरडीए) ने “हायपरलूप वन” कंपनी के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उपस्थिति में करार क़र लिया है. इसी हफ्ते से मुंबई-पुणे शहर के बीच “हायपरलूप वन” कंपनी सर्वे शुरू करने जा रही है. पीएमआरडीए कमिश्नर किरण गीते ने एक समाचार चैनल को बताया कि हायपरलूप कैप्सूल ट्रेन को वास्तविकता में लाने के लिए “हायपरलूप वन” ने पहले तेलंगाना के अमरावती शहर में सर्वे किया था. हालांकि लोगों की आवाजाही कम होने की वजह से तेलंगाना में हायपरलूप कैप्सूल ट्रेन का निर्माण सफल नहीं हुआ. हायपरलूप कैप्सूल ट्रेन के निर्माण का खर्च और लागत का ब्रेक इवन पॉइंट लाने के लिए प्रति घंटा सफर करने के लिए 5 हजार पैसेंजर्स की जरुरत होती है. देश में सिर्फ मुंबई-पुणे के बीच इतनी बड़ी संख्या में लोग हर घंटे सफर कर रहे हैं. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे को जोड़ने वाला एक्सप्रेसवे और रेलवे को जोड़कर ये संख्या और भी ज्यादा हो जाती है. दोनों शहरों की आबादी तक़रीबन दो करोड़ है. मुंबई में आबादी एक करोड़ पचीस लाख है. एमओयू के मुताबिक हायपरलूप वन कंपनी कैप्सूल ट्रेन का निर्माण का खर्च खुद कर रही है. महाराष्ट्र राज्य को इसमें पैसे इन्वेस्ट करने की जरुरत नहीं है. हाइपरलूप कैप्सूल ट्रेन के निर्माण के बाद कंपनी टिकट से होने वाली कमाई से उसका इन्वेस्टमेंट वापस लेगी. हायपरलूप ट्रेन का चुंबकीय टनल बिछाने के लिए सामान्य ट्रेन की पटरी की तुलना में कम खर्च आता है. मुंबई पुणे के बीच की 140 किलोमीटर की दुरी ये अत्याधुनिक हायपरलूप ट्यूब ट्रेन सिर्फ 12 मिनट में पूरी करेगी और एक यात्री का टिकट तक़रीबन 1200 रुपये होगा. पीएमआरडीए कमिश्नर के मुताबिक हाइपरलूप कैप्सूल ट्यूब्स बिछाने के लिए भारतीय कंपनियों को मौका मिलेगा. इससे बड़े पैमाने में रोजगार भी मिलेगा. भारतीय इंजीनियर्स-सॉफ्टवेर प्रोफेशनल्स को इस अत्याधुनिक सफर प्रणाली पर काम करने का मौका मिलेगा. दुनिया में सबसे पहले हाइपरलूप कैप्सूल ट्रेन का निर्माण हाइपरलूप वन कंपनी अबुधाबी से दुबई के बीच शुरू किया है. आपको बता दें कि हाइपरलूप कैप्सूल ट्रेन की रफ़्तार प्रति घंटा 1020 किलोमीटर की होती है. वहीं सुपरसोनिक रफ़्तार 1235 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. सुपरसोनिक यानी आवाज की रफ़्तार से भी तेज तफ्तार. देश में सुखोई लड़ाकू विमान की रफ़्तार मैक 1 यानी 1235 किलोमीटर है. ऐसे में यह हायपरलूप ट्रेन भी जेट की गति से जमीन पर उड़ने वाली है.