नैनीताल, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह विवाह के उद्देश्य से किए जाने वाले धर्म परिवर्तन पर रोक लगाए। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह आदेश नहीं, बल्कि सुझाव है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने कहा कि अदालत के पास अक्सर ऐसे मामले आते हैं, जो अन्तरधर्मीय विवाह के होते हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी एक धर्म से दूसरे में परिवर्तन केवल विवाह करने के लिए किया जाता है। इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए अदालत राज्य सरकार से मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-1968 और हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2006 की तर्ज पर स्वतंत्रता अधिनियम बनाने की अपेक्षा करती है। अदालत द्वारा बताए गए दोनों राज्यों के उक्त कानून जबरन धर्मांतरण को रोकते हैं, जिनका समाज के कई वर्गों में विरोध होता है और धार्मिक भावनाएं भड़कती हैं। अत: न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा अधिनियम बनाये जाते समय नागरिकों की धार्मिक भावनाओं का भी पर्याप्त ध्यान रखा जाए। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि यह आदेश न होकर एक सुझाव है।