मुंबई,लीक से हटकर फिल्में करने के लिए मशहूर इरफान खान लगभग 30 वर्षों के करियर के बाद भी अपने करियर से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि जिस दिन मैं अपने करियर से संतुष्ट हो गया, वो दिन मेरे लिए आत्महत्या करने जैसा होगा। इरफान हर फिल्म के साथ दर्शकों को कुछ नया देने की कोशिश करते हैं। इसी कड़ी में उनकी नई फिल्म ‘करीब करीब सिंगल’ में उनकी रोमांटिक साइड खूब भा रही है। इरफान ने अपने इस रोमांटिक अंदाज के बारे में बताया कि मैं इमेज में बंधकर नहीं रहना चाहता। जिस दिन लोगों ने मुझे इमेज में बांधना शुरू कर दिया, उस दिन ही मेरे लिए खतरा शुरू हो जाएगा। इसलिए कोशिश होती है कि मैं हर दूसरी फिल्म में अपनी पुरानी इमेज तोड़ दूं। ‘करीब करीब सिंगल’ सीधे यूथ को टारगेट करती फिल्म है। आज का युवा प्यार ढूंढते-ढूंढते ऑनलाइन पहुंच गया है और यही फिल्म में दिखाया गया है। इरफान ऑनलाइन डेटिंग एप के बारे में बताते हैं कि आज के युवाओं के पास कई विकल्प हैं। ऑनलाइन ही कई तरह की वेबसाइट और एप हैं। डेटिंग और वेडिंग एप से बहुत मदद मिल रही है, लोगों की ऑनलाइन शादियां भी हो रही हैं। हमारी फिल्म की कहानी इसी लव ट्रेंड को बयां करती है। इरफान के लिए इनाम कुछ खास मायने नहीं रखते। वह इनाम की तुलना में दर्शकों की संतुष्टि को तरजीह देते हैं। उन्होंने बताया कि इनाम से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। अधिक महत्वपूर्ण यह है कि जो कहानी हम कहना चाहते हैं, वो दर्शकों तक सही तरीके से पहुंचे। पान सिंह तोमर जैसी बायोग्राफी में काम कर चुके इरफान अपने जीवन पर फिल्म बनने को लेकर थोड़ा कश्मकश में हैं। बायोग्राफी के सवाल पर वह कहते हैं, मैं खुद को इतना महत्व नहीं देता, लेकिन अगर भविष्य में कभी मेरे जीवन पर इस तरह की फिल्म बनती है तो इसमें कुछ बुरा नहीं है, लेकिन फिलहाल मुझे ऐसा होता नहीं दिखता। इरफान में नीरस और बेदम फिल्म में भी जान फूंकने का हुनर है। वह चाहते हैं कि आज से 30 या 40 साल बाद लोग उन्हें उनके अभिनय की वजह से याद करें। हॉलीवुड में भी अपने काम का डंका बजा चुके इरफान का कहना है, एक कलाकार के लिए सबसे अधिक मायने यह रखता है कि उसकी कला को पहचान मिले। मैं चाहता हूं कि मुझे लोग मेरे काम की वजह से जानें और इसी कोशिश में ताउम्र काम करता रहूंगा। इरफान लीक से हटकर फिल्में करना पसंद करते हैं और वह इसकी वजह बताते हुए कहते हैं, हमारी इंडस्ट्री बहुत तेजी से बदल रही है और इसके साथ ही ऑडियंस का रुझान भी बदला है। दर्शक चुन-चुनकर फिल्में देखने लगा है। आज हालत यह है कि आप करोड़ों रुपयों की फिल्में बनाते हैं और वे पिट जाती हैं, जबकि कई छोटी बजट की फिल्में जबरदस्त कमाई करती हैं। इसलिए हमें सचेत होना पड़ेगा कि हम दर्शकों को क्या परोस रहे हैं।