अहमदाबाद, कांग्रेस ने 22 वर्ष बाद सत्ता में वापस आने के लिए इस बार नया राजनीतिक समीकरण तैयार किया है। पाटीदार ओबीसी दलितों और आदिवासियों को एकजुट करके कांग्रेस इस चुनाव को जीतने चुनाव मैदान में है। राजनीतिक रूप से इसे पोड़ा फार्मूले के नाम से उल्लेख किया जा रहा है । 1985 में कांग्रेस ने खाम फार्मूला तैयार किया था। इसमें भी कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली थी। 1985 के चुनाव में कांग्रेस के नेता माधव सिंह सोलंकी ने खाम फार्मूले के अंतर्गत क्षत्रिय आदिवासी और मुस्लिमों का गठजोड़ बनाया था। जिसके कारण कांग्रेस ने गुजरात की 159 सीटों पर जीत हासिल की थी। यह अभी तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। इस रिकॉर्ड को कांग्रेस और भाजपा कभी नहीं तोड़ पाई।
22 वर्ष बाद जिस आक्रमक तरीके से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, करो या मरो की तर्ज पर, गुजरात चुनाव लड़ रहे हैं। उसमें पाटीदार, ओबीसी, दलित, आदिवासी समीकरण कांग्रेस को न केवल बड़ी जीत दिलाएगा। वरन, बहुत ऊंचाइयों तक ले जाने में यह समीकरण कामयाब हो सकता है। इसको लेकर कांग्रेस के नेता बड़े आश्वस्त हैं।
सत्तारूढ़ दल भाजपा कांग्रेस के इस पाटीदार, ओबीसी, दलित और आदिवासी समीकरण के कारण चिंतित हो उठी है। भारतीय जनता पार्टी ने इस स्थिति से निपटने के लिए अब पाटीदार ओबीसी और दलितों को अपनी और आकर्षित करने और कांग्रेस की और झुकाव को रोकने के लिए हर संभव प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। इसके लिए जातीय समीकरण पर दूसरे राज्यों के एनडीए के सहयोगी दलों के नेताओं को भी गुजरात बुलाकर भाजपा के नेता डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों ही तरफ से चुनावी संग्राम में पूरी तैयारी के साथ युद्ध चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। अब देखना यह है विजय श्री किसके पक्ष में होगी।