ग्वालियर, भारतीय संस्कृति में पानी को पंच महाभूतों में शामिल किया जाता था। पानी से श्रृष्टि को पोषित करने की बात भी भारतीय संस्कृति में कही गई है। मगर हम सब पानी का सम्मान भुला बैठे हैं। इसीलिये पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है।
उक्त आशय के विचार दुनिया भर में जलपुरूष के नाम से विख्यात एवं रमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द्र सिंह ने व्यक्त किए। महापौर विवेक नारायण शेजवलकर एवं नगर निगम आयुक्त विनोद शर्मा ने नगर निगम की ओर से राजेन्द्र सिंह को शॉल-श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
जलपुरूष राजेन्द्र सिंह, डॉ. एमपी तिवारी विचार न्यास द्वारा आयोजित “जल संकट और उपाय” विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में शामिल होने ग्वालियर आए। बुधवार को यहाँ जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में यह संगोष्ठी आयोजित हुई। संगोष्ठी में मौजूद नगर वासियों को संबोधित करते हुए राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पानी के संरक्षण की उपेक्षा एवं प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन से दुनिया जल संकट का सामना कर रही है। साथ ही हमने मान लिया है कि पानी पिलाने का काम राज्य करेगा। अर्थात् हम पानी को लेकर पूतरह राज्य पर निर्भर हो गए हैं। यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा भारतीय संस्कृति में जल संरचनायें समाज की होती थीं। हमें उसी सिद्धांत पर लौटकर पानी को सहेजना होगा। सिंह ने ग्वालियर के संदर्भ में कहा कि ग्वालियर के चारों तरफ की भौगोलिक स्थिति व जंगल पानी के संरक्षण के लिये उपयुक्त हैं। इसलिये यहाँ पानी के तात्कालिक हल के साथ-साथ दीर्घकालिक समस्या के समाधान के लिये पानी को सहेजना ही होगा।
उन्होंने राजस्थान के अलवर जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ की अपेक्षा मध्यप्रदेश में लगभग तीन गुनी बारिश होती है। इसके बाबजूद वहाँ के लोगों ने जल सहेजकर पूदुनिया के लिये उदाहरण प्रस्तुत किया है। वहाँ केवल जन सहयोग से 11 हजार जल संरचनायें लोगों ने बनाई हैं। इससे नौ नदियाँ पुनर्जीवित हुई हैं और चारों ओर हरीतिमा की चादर फैल गई है। बंजर जमीन पर अब फसलें लहलहा रही हैं।
महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने ग्वालियर में पानी की उपलब्धता और दीर्घकालिक पेयजल योजना पर प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि पानी को कैसे बचायें। अपव्यय कम हो, यह प्रश्न हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से ही यह संभव होगा। शेजवलकर ने आहवान किया कि ग्वालियरवासी पानी की कीमत समझें। खुद तो पानी बचायें हीं, साथ ही औरों को भी पानी बचाने के लिये जागरूक करें। महापौर ने राजेन्द्र सिंह को भी भरोसा दिलाया कि उनके द्वारा सुझाए गए उपायों पर पूशिद्दत के साथ अमल किया जायेगा।
कार्यक्रम के अंत में राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण व संवर्धन पर प्रतिभागियों के प्रश्न सुने और उनका समाधान भी कया। आरंभ में अजय तिवाने स्वागत उदबोधन दिया। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधिगण, समाजसेवी, स्वयंसेवी संस्थायें तथा स्कूली छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।
पानी को सम्मान देकर ही बचाया जा सकता है : राजेन्द्र सिंह
