जयपुर,सेवारत चिकित्सकों की हडताल और इस्तीफे का आज तीसरा दिन है सरकार ने वार्ता के लिए मंगलवार को एक प्रयास किया लेकिन वह पूरा नही हुआ दोनो पक्ष अपने रूख पर कायम है इधर डॉक्टरों की हडताल के पक्ष में रेजीडेंट डॉक्टर्स और 108 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने भी हडताल की धमकी दी है। रेजीडेंट सुबह 9 से 11 पेनडाउन कर हडताल को समर्थन कर चुके है सरकार ने आम सूचना देकर हडताली डॉक्टर के खिलाफ माहौल का प्रयास किया है तो डॉक्टर भी उसी अंदाज में जवाब बनाकर सोश्यल मीडिया पर शेयर कर रहे है दोनो पक्ष अपनी जगह अडे हुए है डॉक्टर्स ने कहा कि मांगे माने बिना किसी भी सूरत में हडताल वापस नहीं ली जाएगी सरकार ने कहा कि उसे अभी तक एक भी डॉक्टर्स का इस्तीफा नहीं मिला है जबकि डॉक्टर्स ने कहा कि 9 हजार 500 डॉक्टर्स के इस्तीफे सरकार को भेज दिए है दूसरी ओर चिकित्सक महासंघ की हडताल और इस्तीफे का असर गांव से शहरों की तरफ बढने लगा है पीएचसी,सीएचसी, सेटेलाइट उपजिला और जिला अस्पतालों के मरीज मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से पहुंचने लगे है तो एसएमएस जयपुरिया, कांवटिया अस्पताल में मरीजो की भीड ने रिकॉर्ड तोड दिया है सामान्य रहने वाली ओपीडी में कतारे लगी हुई है डॉक्टर्स एक दिन में 200 से अधिक मरीजों को देख रहे है वैसे यह आंकडा इंटरनेशनल रूल्स के खिलाफ है लेकिन हडताल से सारी हदे पार कर दी है। मानवाधिकार आयोग ने हडताली डॉक्टरो और सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है कई जगह इलाज नहीं मिलने के कारण रोगी दम तोड रहे है तो देर रात कोटा के सरकारी अस्पताल में एक गर्भवती और बच्चो के मरने की खबर ने दहशत फैला दी है एक अनुमान के साथ अब तक प्रदेश में करीब 9 लोगों की जान चुकी है। जबकि सरकार ने सेवारत चिकित्सकों की हडताल के मध्येनजर जिला कलेक्ट्रेट के कमरा नंबर 17 में कंट्रोल रूम स्थापित किया है जिला कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन के अनुसार कंट्रोल रूम के राउंड द्वारा क्लॉक संचालन के लिए तीन अलग अलग पारियों, अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है फिर भी व्यवस्था नाकाफी होती दिख रही है जबकि सरकार ने रेशमा लागू कर हडताल पर नकेल कसने की कोशिश की है तो दूसरी ओर 56 हजार रूपये प्रतिमाह के मानदेय के हिसाब से प्राइवेट डॉक्टरों को रखने के अधिकार तो दिए है पर ऐसे में एक भी डॉक्टर सरकार की वैकेसी पर सेवायें देने के लिए नहीं पहुंचा। सरकार ने सेना, रेलवे, सहित आयुष के डॉक्टरों को मरीज देखने के लिए कहा है पर हडताल का असर उक्त महकमे के डॉक्टर्स भी कम नहीं कर पा रहे है और मरीज इलाज के अभाव का दुख रोना रो रहे है।