पीएम आवास योजना के मकान बना रहे ठेकेदार पैसे लेकर रफूचक्कर,अधूरे पडे 43 आवास

मण्डला, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों मकान बनाये जाने हैं और मकान निर्माण की राशि भी बढा दी गई है। हितग्राहियों के खाते में सीधे ही राशि पहुंचाकर उन्हें खुद ही निर्माण करने के लिये योजना का प्रारूप विकसित किया गया है परंतु मकान बनाने की हजारों झंझटों से बचने के लिये हितग्राही किसी ठेकेदार या मित्री से आवास का निर्माण करवा रहे हैं। उनका यह तरीका अब उन्हीं के लिये सिर दर्द बन रहा है जिन ठेकेदारों के भरोसे मकान निर्माण किया जा रहा है वे ठेकेदार छल कपट करके आवास निर्माण की राशि हितग्राही के खाते से अपने खाते में जमा करा लेते हैं और उसके बाद रफू चक्कर हो जाते हैं। ठेकेदार इस योजना पर पलीता लगा रहे हैं। हितग्राही ठग लिये गये और मकान अधूरा ही पडा है।
ऐसा ही गंभीर मामला जनपद पंचायत घुघरी अंतर्गत ग्राम पंचायत घोरेघाट का सामने आया है जहां 43 हितग्राहियों के मकान बनाकर देने का ठेका लेने वाला ठेकेदार हितग्राहियों के पूरे पैसे लेकर रफू चक्कर हो गया है और उनके मकान अधूरे ही पडे हैं। बीते एक महीने से हितग्राही परेशान है पर उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है। यह मामला कलेक्टर की जानकारी में आने पर जांच कर कार्यवाही करने का आश्वासन तो दे दिया है पर मुख्य बात यह है कि उस ठेकेदार को ढूंढ कर कौन लायेगा। ग्राम पंचायत घोरेघाट में 73 हितग्राहियों के आवास स्वीकृत हुये हैं जिनमें से इन 43 हितग्राहियों के आवास निर्माण किये जा रहे थे किसी का प्लंथ लेबल तक काम हुआ है तो किसी के डोर लेबल तक। कुछ के तो काम भी शुरू नहीं हो पाये हैं और ठेकेदार उनके खाते में जमा पूरा पैसा लेकर चंपत हो गया है। ग्राम पंचायत ने हितग्राहियों के साथ थाना घुघरी व थाना मवई में 10 अक्टूबर और 11 अक्टूबर को शिकायत भी की है पर उस गायब ठेकेदार को पुलिस भी एक महीने में नहीं ढूंढ पाई है। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 50 लाख रूपये लेकर उक्त ठेकेदार गायब हो गया है और मकान अधूरे होने के कारण खुले आसमान के नीचे ही हितग्राहियों को गुजर बसर करनी पड रही है। आवास योजना का यह ठेकेदारी फार्मूला भले ही सरकार ने इजाद नहीं किया है पर हितग्राही अपनी सुविधानुसार यदि इस फार्मूले से काम कराता है और ठेकेदार उनके पैसे लेकर फरार हो जाता है तो ऐसे में पंचायत ग्रामीण विकास विभाग कार्यवाही करेगा भी तो किसके ऊपर। आखिर में वह हितग्राही ही कार्यवाही का शिकार हो जायेगा जो पीडित हुआ है।

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