नई दिल्ली,नोटबंदी की पहली वर्षगांठ पर जहां सरकार ने इसके फायदे गिनाएं वहीं, विपक्ष ने नुकसान सामने लाए। देशभर में भाजपा और कांग्रेस ने क्रमश: कालाधन विरोधी दिवस और काला दिवस मनाया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने देश की दौड़ती हुई अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पूरे राष्ट्र की निर्णायक लड़ाई करार देते हुए जनता की जीत बताया।
मोदी ने फैलाई सांप्रदायिक नफरत : राहुल
नोटबंदी के कारण भारत के दो प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) खत्म होने, असंगठित श्रम क्षेत्र के तबाह होने और कई लघु एवं मध्यम उद्योगों के बंद होने जाने का दावा करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस फैसले के चलते प्रधानमंत्री मोदी ने एक समय फल-फूल रही अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास का सफाया कर दिया है। राहुल ने यह बात मोदीज रिफॉर्म है रोब्ड इंडिया ऑफ इट्स इकोनॉमिक प्रोवेज (मोदी के सुधारों के कारण भारत के आर्थिक कौशल का सफाया) शीर्षक से प्रकाशित आलेख में कही है। राहुल ने कहा कि एक साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने आरबीआई की अनदेखी कर और अपने मंत्रिमंडल को एक कमरे में बंद कर अपनी एकपक्षीय एवं मनमानी विमुद्रीकरण योजना की घोषणा की थी और देशवासियों को महज चार घंटे का नोटिस दिया। उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनके निर्णय का लक्ष्य भ्रष्टाचार का सफाया है। इसके उल्टे देश में भ्रष्टाचार का सफाया का तो नहीं हुआ। लेकिन, 12 महीनों में केवल यही चीज हुई है कि उन्होंने एक समय फलती-फूलती हमारी अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास को खत्म कर दिया।
राहुल ने सूरत में रैली के दौरान कहा कि जीएसटी और नोटबंदी ने सूरत की शक्ति छीन ली। राहुल ने कहा कि इसकी वजह देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।
राहुल की पांच दावे
– ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमीÓ के आंकलन के अनुसार, नोटबंदी के बाद प्रथम चार महीनों में 15 लाख लोगों ने रोजगार गंवा दिया।
– इस साल जल्दबाजी में लागू किये गये और खराब तरीके से परिकल्पित माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के कारण हमारी अर्थव्यवस्था पर एक अन्य प्रहार हुआ है।
– नौकरशाही एवं जटिलताओं के कारण इन प्रहारों ने लाखों लोगों की रोजी-रोटी तबाह कर दी।
– सरकार के आदेशों ने आधुनिक समय का लाइसेंस राज पैदा कर दिया, जिससे कड़े नियंत्रण लग गये और सरकारी अधिकारियों को व्यापक अधिकार मिल गये।
– सरकार ने रोजगारहीनता एवं आर्थिक अवसरों की कमी से उत्पन्न गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में तब्दील कर भारत को क्षति पहुंचायी है।
125 करोड़ भारतीयों ने लड़ी निर्णायक लड़ाई और जीती : मोदी
नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार ट्वीट किए हैं, जिसमें उन्हें भारत की जनता का आभार जताया है। उन्होंने एक शॉर्ट फिल्म शेयर की है, जिसमें नोटबंदी के फायदे बताएं गए हैं और सर्वे के माध्यम से लोगों को अपनी राय साझा करने के लिए भी कहा है।
उल्लेखनीय है कि 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन के खिलाफ बड़ा फैसला लेते हुए देश में 500 और 1000 के नोटों पर बैन लगा दिया था। इसके बाद देशभर की जनता ने नए नोटों के लिए महीनों तक एटीएम के बाहर लंबी कतारों में घंटों खड़े होकर पैसे निकाले। विपक्ष पार्टियों ने इस फैसले का खूब विरोध किया था।
मोदी के चार ट्वीट
– पहला ट्वीट: मैं भ्रष्टाचार और काला धन को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई फैसला का समर्थन करने के लिए भारत की जनता को झुक कर प्रणाम करता हूं।
– दूसरा ट्वीट: 125 करोड़ भारतीयों ने निर्णायक लड़ाई लड़ी और जीती।
– तीसरा ट्वीट: एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें नोटबंदी से क्या फायदे हुए हैं इसके बारे में बताया गया है।
– चौथा ट्वीट: पीएम मोदी ने लोगों से पूछा है कि भ्रष्टाचार और काले धन को उखाड़ फेंकने के प्रयासों के बारे में आप क्या सोचते हैं? इस सर्वे के माध्यम से मुझे बताएं।
पीएमओ के दावे
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि यदि नोटबंदी नहीं होती तो अभी चलन में बड़े नोटों का मूल्य 18 लाख करोड़ रुपये यानी मौजूदा स्तर से 50 प्रतिशत अधिक होता। पीएमओ ने ट्विटर पर लिखा कि अर्थव्यवस्था में बड़े नोटों की मात्रा कम होने से भ्रष्टाचार तथा आतंकवाद के वित्त पोषण को खत्म करने में मदद मिलती है। देश की कुल आबादी के महज 0.00011 प्रतिशत लोगों ने कुल नकदी का 33 प्रतिशत जमा किया था।
– देश के इतिहास में सबसे ज्यादा काले धन का पर्दाफाश हुआ है और करीब 16000 करोड़ बैंकों में वापस नहीं लौटे
– नोटबंदी के बाद संगठित क्षेत्र में गरीबों के लिए रोजगार के अवसर बने है।
– भारत ने नोटबंदी के दौरान कैशलेस के जरिए स्वच्छ अर्थव्यवस्था की तरफ बड़ी छलांग लगाई।
– नोटबंदी के बाद डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन वेल्यू में 93 फीसदी और ट्रांजेक्शन संख्या में 103 फीसदी का उछाल आया।
किसने क्या कहा
छिन गया छोटे कारोबारियों का रोजगार : पी. चिदंबरम
नोटबंदी के कारण लाखों लोग परेशान हुए और इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि इसके कारण लोगों की जान और नौकरी दोनों चली गई। इस काला दिवस पर, लोगों की वास्तविक जीवन की कहानी पढऩी चाहिए और इसके कारण परेशान होने वाले लाखों लोगों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
नोटबंदी की वजह से अमीरों का कालाधन सफेद हो गया : लालू प्रसाद
नोटबंदी की वजह से अमीरों का कालाधन सफेद हो गया, जबकि गरीब परेशान हुए। इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई। सरकार यह क्यों नहीं बताती नोटबंदी लागू करने से कितना कालाधन मिला।
जश्न मनाना, जनता का मजाक उड़ाने जैसा : अखिलेश यादव
नोटबंदी पर जश्न मनाना, जनता का मजाक उड़ाने जैसा है। सरकार के इस अदूरदर्शितापूर्ण निर्णय से आर्थिक जगत में अराजकता का माहौल पैदा हुआ है। नोटबंदी के जो उद्देश्य बताए गए थे, वे सब खोखले थे। कृषि क्षेत्र को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा।
देश की जनता के साथ नोटबंदी हादसा : ममता बनर्जी
मैंने अपना ट्विटर का डिस्प्ले पिक्चर काला कर दिया है। मैंने कहा था, नोटबंदी बड़ा घोटाला है। मैं दोहराती हूं, नोटबंदी बड़ा घोटाला है। यदि विस्तृत जांच की जाए तो यह साबित हो सकता है। विदेशी खातों से कोई काला धन वापस नहीं लाया जा सका। नोटबंदी के इस शैतान के कारण देश अपने सकल घरेलू उत्पाद का करीब तीन लाख करोड़ रुपया गंवा चुका है।
17 लाख 70 हजार संदिग्ध बैंक अकाउंट्स का पता चला : नितिन गडकरी
नोटबंदी के कारण बैंक खातों में जमा हुए करीब 99 फिसदी रकम में से, जो भी संदिग्ध लेन देन नजर आ रहे हैं। उसकी जांच चल रही है। नोटबंदी के दौरान लगभग 2 लाख 57 हजार बंद कंपनियों के बैंक खातों में करोड़ों रुपए जमा पाए गए है। आयकर विभाग ने संदिग्ध कारोबार या लेनदेन करने वाली करीब 1150 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
इस कदम के सही परिणाम के लिए देना होगा समय : अपर्णा यादव
अब इस कदम के लाभ-हानि पर फैसला सुनाना जल्दीबाजी होगी। हमें अभी भी इस कदम के सही परिणाम का पता लगाना है। यह सही है या गलत, यह पता लगाने के लिए यह वक्त बहुत कम है।
दो लाख करोड़ के संदिग्ध लेनदेन की जांच जारी
नई दिल्ली, वित्त सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी के बाद करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का केंद्रीय एजेंसियों को पता चला है। कर अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं। साथ ही पूरे डाटा की जांच की जा रही है, जिसमें आईटी विशेषज्ञों की सहायता भी ली जा रही है। सूत्रों की माने तो प्रति माह डेढ़ लाख करोड़ रुपये के करीब 44 करोड़ लेनदेन होते हैं। ताजा आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 11 अक्तूबर माह के अंत तक 54 हजार करोड़ रुपये के 18.58 करोड़ लेनदेन हुए हैं। सितंबर माह में 1.48 लाख करोड़ रुपये के 43.64 करोड़ लेनदेन हुए हैं। इससे पहले के आंकड़े लगभग समान हैं जो नोटबंदी के बाद जुलाई तक कई गुना बढ़ गए थे। हालांकि पिछले साल नोटबंदी से पहले की तुलना में 15 फीसदी डिजिटल लेनदेन बढ़ा है।