गुजरात में चल रही परिवर्तन की लहर : मनमोहन सिंह

अहमदाबाद, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज दावा किया कि दो दशक के बाद गुजरात में परिवर्तन की लहर चल रही है. अहमदाबाद के सरदार स्मारक में व्यापारियों को संबोधित करने के बाद कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव गांधी भवन में मनमोहनसिंह पत्रकारों से मुखातिब हुए.
पूर्व पीएम ने दावा किया कि गुजरात गैर भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश, कनार्टक, केरल और तमिलनाडु से पीछे और आदिवासियों को वनभूमि संबंधी 2008 के कानून के तहत पट्टे देने में भी कई राज्यों से पीछे है। गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन, दलित आंदोलन आदि का नाम लिये बिना मनमोहन ने कहा कि हाल में राज्य में हुए आंदोलन गुजरात के भाजपा शासन के प्रति नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं| राज्य में बदलाव की लहर चल रही है। उन्होंने कहा कि दशकों बाद मौका आया है कि गुजरात के लोग एक बार फिर कांग्रेस में विश्वास दिखायें। कांग्रेस सरकार बिना जाति समुदाय धर्म अथवा लिंग भेद के हर गुजराती की आवाज सुनेगी। यह सरकार दिल और दिमाग दोनों से शासन करेगी और साढे छह करोड गुजरातियों को नयी ऊंचाई पर ले जायेगी। पूर्व प्रधानमंत्री ने नर्मदा योजना का भाजपा सरकार के श्रेय लेने पर प्रहार करते हुए कहा कि भूतकाल की सरकारों के काम का लाभ आगे मिलता रहा है। नेहरू जी ने सरदार सरोवर डैम की आधारशिला रखी थी और बाद में कांग्रेस सरकारों ने इस परियोजना को आगे बढाने का काम किया जिसके चलते मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस साल पहली बार गुजरात के प्रधानमंत्री बने थे उसी साल नर्मदा की मुख्य नहर में पानी बहना शुरू हो गया था। विश्व बैंक ने जब इस नर्मदा योजना के लिए धन देने से इंकार कर दिया तो तत्कालीन वित्त मंत्री के तौर पर मैंने तत्काल पहल करते हुए केंद्र से धन मुहैया कराया। जब ऐसी योजनाओं का लाभ किसानों को दिलाने के बारे में सोचा जाता है तो उनकी भूमि के अधिग्रहण संबंधी चिंताओं को भी देखना होगा। मनमोहनसिंह ने कहा कि यूपीए ने 2013 में ऐसे ही उद्देश्य से भूमि अधिग्रहण संबंधी नया कानून बनाया पर एनडीए ने इसमें बदलाव का प्रयास किया तो कांग्रेस ने इस पर रोक लगायी। गुजरात सरकार ने राज्य में इसमें बदलाव कर दिया है। इसीलिए किसान आंदोलन कर रहे हैं। भाजपा का किसानों को उपज की कीमत 5० प्रतिशत ज्यादा दिलाने का चुनावी वादा धोखा साबित हुआ है। गुजरात में आदिवासी जमीन को उद्योगों के लिए देने का प्रावधान किया गया है। यहां शिक्षा का अंधाधुंध निजीकरण हुआ है।

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