अहमदाबाद,गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अपने मौजूदा सभी 43 विधायकों को दोबारा टिकट देने को तैयार है। उसके इस कदम को इन विधायकों की वफादारी का इनाम माना जा रहा है। पार्टी ने अपने उन सभी विधायकों को दोबारा टिकट देने का फैसला किया है, जो उन हालातों में भी पार्टी के साथ खड़े रहे, जब कुछ विधायक इस्तीफा देकर जा रहे थे, जबकि कुछ अगस्त में राज्यसभा चुनावों के दौरान बागी तेवर अपनाने वाले शंकर सिंह वाघेला के साथ चले गए थे। हालांकि राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल बीजेपी के उम्मीदवार को हराने में कामयाब रहे थे। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा, ये हमारे मजबूत विधायक हैं, जो भारी प्रलोभन के सामने भी नहीं झुके। इससे कांग्रेस यह संदेश भी देना चाहती है कि पार्टी विरोधियों द्वारा तोड़ने की कोशिश किए जाने के बावजूद एकजुट रहने वाले सदस्यों के साथ खड़ी है। असम और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की एक बड़ी वजह उसके वरिष्ठ नेताओं का दल बदलना रहा था। गुजरात में 2012 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने 57 और बीजेपी ने 119 सीटों पर कब्जा किया था। हालांकि मौजूदा हालात में कांग्रेस के पास केवल 43 विधायक हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने 80 नाम फाइनल कर लिए हैं और बाकी पर विमर्श जारी है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, हमारे उम्मीदवारों को प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। ऐसा माना जा रहा है कि वाघेला द्वारा अपनी पार्टी बनाने का फैसला ‘सेकुलर’ कैंप को नुकसान पहुंचा सकता है। वाघेला के ज्यादातर समर्थक बीजेपी के साथ जा चुके हैं, लेकिन टिकट न मिल पाने से खफा भाजपाई उनके खेमे में आ सकते हैं, जिससे वाघेला मजबूत होंगे और कांग्रेस के वोट बंट जाएंगे। इसका फायदा बीजेपी को होगा। नए उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के हार्दिक पटेल और दलित कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी जैसे सामाजिक नेताओं की भी सलाह लेने पर विचार कर रही है। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर पहले ही कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।