भाजपा ने टाउन प्लानिंग पर सूरत में 30000 करोड़ का भ्रष्टाचार किया : मोढवाडिया

अहमदाबाद, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने केवल सूरत में टाउन प्लानिंग के नाम पर रु. 30000 करोड़ के भ्रष्टाचार का सरकार पर आरोप लगाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़़ी कार्रवाई करने की मांग की है.अर्जुन मोढवाडिया ने पत्रकार परिषद में आज कहा कि देशभर में महाराष्ट्र के बाद गुजरात दूसरा ऐसा राज्य जहां तेजी से शहरीकरण हो रहा है. जिसमें 42 फीसदी आबादी छोटे-बड़े शहरों में रहती है. शहर के नागरिकों की सुविधा के लिए टाउन प्लानिंग कानून में प्रावधानों का उल्लंघन कर भाजपा सरकार ने अपने करीबी बिल्डरों को करोड़ों रुपए का फायदा कराया है.

उन्होंने कहा कि राज्य के एक मात्र सूरत शहर में टाउन प्लानिंग के नाम पर भाजपा सरकार ने 30000 करोड़ का भ्रष्टाचार किया है. पिछले 22 वर्ष में भाजपा शासकों ने कुल 128 टाउन प्लानिंग स्कीमों में से केवल 38 टाउन प्लानिंग स्कीम फाइनल की है, जबकि 90 स्कीमें पेन्डींग हैं| टीपी स्कीम के कानून के मुताबिक 40 प्रतिशत जमीन कटौती होती है, जिसमें 15 प्रतिशत सड़क के लिए, 10 प्रतिशत गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़ों के आवास के लिए, फीसदी जमीन सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर, 5 प्रतिशत शहरी नागरिकों की सुविधा के अस्पताल, स्कूल और बाल मंदिर इत्यादि सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए आरक्षित होती है तथा 5 प्रतिशत जमीन प्रशासन द्वारा बिक्री कर शहरी नागरिकों के लिए फंड एकत्र किया जाता है| लेकिन भाजपा शासकों ने टीपी स्कीम के नियमों का उल्लंघन कर 10 प्रतिशत जमीन सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए केवल 2 प्रतिशत और शहरी गरीबों के लिए 4 प्रतिशत जमीन आवंटित कर 8 प्रतिशत जितनी जमीन करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कर अपने करीबी बिल्डरों को आवंटित कर दी. करोड़ों का भ्रष्टाचार कर भाजपा सरकार ने सूरत के नागरिकों को मूलभूत सुविधा से वंचित रखा है. इन जमीनों की कीमत औसत रेट प्रति स्क्वेर मीटर रु. 60 से रु. 70 हजार के हिसाब से रु. 30000 करोड़ होता है. इस 30 हजार करोड़ रुपए से गुजरात के सभी गरीबों के लिए आवास बनाए जा सकते थे. भाजपा शासकों ने इस रकम से अपनी जेबें भर लीं. मोढवाडिया ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की नीति के वजह से आज जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं. सामान्य व्यक्ति अपना घर नहीं बन सकता, इस कदर भ्रष्टाचार बढ़ा है. स्कीमों में दरखास्त रखने या नहीं रखने, उसे फाइनल करने, कब करने, कैसे करने इत्यादि के लिए रुपए वसूले जाते है. सूरत शहर का जो भ्रष्टाचार सामने आया है उसकी निष्पक्ष जांच कराने की जरूरत है.

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