लखनऊ, भाजपा के कुनबे में उप्र में सर फुटोब्बल के हालात हैं,पूर्ण बहुमत वाली योगी सरकार में कहीं न कहीं असंतोष और असहमति के स्वर फूटने लगे हैं। कभी भाजपा के अपने ही विधायक अपनी आवाज बुलंद करते दिख रहे हैं तो कहीं सहयोगी दल। सरकार को अभी मात्र सात महीने का ही कार्यकाल बीता है।
इससे आलाकमान की चिंता की लकीरें बढ़ने लगी हैं,हाल में मंत्रिमण्डल में काबीना मंत्री एवं भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाष राजभर ने दूसरी बार बगावती तेवर दिखाते हुए पांच नवम्बर को रैली कर अपनी ताकत का अहसास कराने का ऐलान किया है।
दरअसल सूबे में 15 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को सत्ता हासिल हुई है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बने मंत्रिमण्डल में अधिकांश सदस्य पहली बार मंत्री बने हैं। ऐसे में उन्हें अधिकारियों और साथी विधायकों के साथ सामंजस्य बैठाने में खासी दिक्कतें आ रही हैं। यही वजह है कि मंत्री से लेकर विधायकों तक में रोष व्याप्त हो गया है। योगी सरकार में काबीना मंत्री एवं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाष राजभर ने सरकार बनने के चार महीने बाद ही गाजीपुर के डीएम को हटाने की मांग को लेकर मंत्रिमण्डल से इस्तीफा तक देने की धमकी दे दी थी। उसके बाद भाजपा विधायक आवास एवं शहरी नियोजन मंत्री सुरेश पासी और साथी विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह के बीच विवाद हुआ और मयंकेष्वर ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने तक का ऐलान कर दिया था। लेकिन बाद में उन्हें किसी तरह समझाबुझाकर शांत किया गया। वहीं जिला योजना समिति की बैठक में राजधानी के ही तीन विधायकों सुरेश कुमार श्रीवास्तव, अरविन्द त्रिवेदी व नीरज बोरा ने अधिकारियों की कार्यषैली पर सवाल ही नहीं उठाया यहां तक कहा कि सिर्फ मंत्रियों के क्षेत्रों की ही सुनी जा रही है।
अब एक बार फिर भाजपा सरकार में साझीदार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर सरकार में काम करने वाले कुछ लोगों से असंतुष्ट हो गए हैं। वे एक ओर मुख्यमंत्री की प्रशसा कर रहे हैं लेकिन कुछ अधिकारियों के रवैये को लेकर नाराजगी भी जता रहे है। वहीं निकाय चुनाव में उनकी पार्टी भी सम्मानजनक ‘हिस्सा’ मांग रही है। इन्हीं सब बातों को लेकर उन्होंने पांच नवंबर को राजधानी के रमाबाई पार्क में अपनी पार्टी के 15वें स्थापना दिवस पर एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं। राजभर इस रैली के जरिये सरकार को ताकत दिखाएंगे। राजभर का कहना है कि वह पांच नवंबर को कुछ न कुछ नया करेंगे। तभी वह अपना पत्ता खोलेंगे। चर्चा है कि निकाय चुनाव में समझौते की बात न बनने पर वह अलग से चुनाव लडने की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि वह साथ ही यह भी कह रहे हैं कि रैली के जरिये अति दलितों और अति पिछड़ों को जागरूक करेंगे।
UP में भाजपा के कुनबे में कलह,मंत्री विधायकों और कार्यकर्ताओं में असंतोष,इस्तीफों की धमकी
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