भोपाल,पदोन्नति में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे हफ्ते सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि संवैधानिक पीठ को मामला सौंपने के फैसले को लेकर सभी पक्षों के तर्क सुने जा चुके हैं। यदि अब किसी पक्ष को अपनी बात कहनी है तो सोमवार तक लिखित में कोर्ट को दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट अगले 10 से 15 दिन में यह तय कर देगा कि पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ करेगी या नियमित बेंच। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसफ कुरियन और जस्टिस भानुमति की डबल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। सभी पक्षों द्वारा लिखित में तर्क देने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट की नियमित बेंच यह तय करेगी कि पदोन्नति में आरक्षण मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपा जाए या नहीं।
मप्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तर्क रखा कि एम. नागराज मामले में तीन मुद्दे ऐसे हैं, जिसका फैसला संवैधानिक पीठ ही कर सकती है। सपाक्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते चली बहस में मप्र सरकार और अजाक्स ने पदोन्नति में आरक्षण मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपने की मांग की थी। मप्र सरकार की तरफ से वकील मनोज गोरकेला ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग से जुड़े भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आज भी पिछड़े हुए हैं। ये अधिकारी सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। गोरकेला ने कहा कि आरक्षित वर्ग से जुड़े अधिकारियों को अपने परिवार और गांव के लोगों का खर्च भी उठाना पड़ता है, इसलिए इन्हें क्रीमीलेयर नहीं माना जा सकता।