नईदिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में कहा कि पहले जो बीमारियाँ बड़ी उम्र में आती थीं, जीवन के अंतिम पड़ाव के आस-पास आती थीं – वह आजकल बच्चों में भी दिखने लगी हैं। आज बड़ा आश्चर्य होता है, जब सुनते हैं कि बच्चे भी diabetes से पीड़ित हो रहे हैं। पहले के ज़माने में ऐसे रोगों को ‘राज-रोग’ के नाम से जाना जाता था। राज-रोग अर्थात ऐसी बीमारियाँ जो केवल संपन्न लोगों को, ऐश-ओ-आराम की ज़िंदगी जीने वालों को ही हुआ करती थी। युवा लोगों में ऐसी बीमारियाँ बहुत rare होती थीं। लेकिन हमारा lifestyle बदल गया है। आज इन बीमारियों को lifestyle disorder के नाम से जाना जाता है। युवा उम्र में इस तरह की बीमारियों से ग्रस्त होने का एक प्रमुख कारण है – हमारी जीवनशैली में physical activities की कमी और हमारे खान-पान के तरीक़ों में बदलाव। समाज और परिवार को इस चीज़ पर ध्यान देने की ज़रुरत है। जब वह इस पर सोचेंगे तो आप देखिएगा कि कुछ भी extraordinary करने की ज़रुरत नहीं है। बस ज़रुरत है , छोटी-छोटी चीज़ों को सही तरीक़े से, नियमित रूप से करते हुए उन्हें अपनी आदत में बदलने की, उसे अपना एक स्वभाव बनाने की। मैं तो चाहूँगा कि परिवारजन जागरूकतापूर्वक ये प्रयास करें कि बच्चे, खुले मैदानों में खेलने की आदत बनाएं। संभव हो तो हम परिवार के बड़े लोग भी इन बच्चों के साथ ज़रा खुले में जाकर कर के खेलें। बच्चों को lift में ऊपर जाने-आने की बजाय सीढियाँ चढ़ने की आदत लगाएं। Dinner के बाद पूरा परिवार बच्चों को लेकर के कुछ walk करने का प्रयास करें। Yoga for Young India। योग, विशेष रूप से हमारे युवा मित्रों को एक healthy lifestyle बनाये रखने और lifestyle disorder से बचाने में मददगार सिद्ध होगा। School से पहले 30 मिनट का योग, देखिए कितना लाभ देगा! घर में भी कर सकते हैं और योग की विशेषता भी तो यही है – वो सहज है, सरल है, सर्व-सुलभ है और मैं सहज है इसलिए कह रहा हूँ कि किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से कर सकता है। सरल इसलिए है कि आसानी से सीखा जा सकता है और सर्व-सुलभ इसलिए है कि कहीं पर भी किया जा सकता है – विशेष tools या मैदान की ज़रूरत नहीं होती है। Diabetes control करने में योग कितना असरकारी है, इस पर कई studies चल रही हैं। AIIMS में भी इस पर study की जा रही है और अभी तक जो परिणाम आए हैं, वो काफी encouraging हैं। आयुर्वेद और योग को हम सिर्फ उपचार treatment के माध्यम के तौर पर न देखें, उन्हें हम अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।