हिमाचल में भाजपा-कांग्रेस में घबराहट दोनों के 7-7 बागी मैदान में

शिमला,हिमाचल प्रदेश में नामांकन हो चुका है और नाम वापस लेने का समय भी निकल चुका है। ऐसे में कई नेता अपनी ही पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रास्ते में खड़े हैं। यानी तमाम मान मनौव्वल के बावजूद कांग्रेस व भाजपा नामांकन वापस लेने की अवधि खत्म होने तक बागियों को नहीं मना पाई। दोनों दलों के सात-सात नेता टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में डट गए हैं। इससे अधिकृत प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ना तय है। मंडी जिले के द्रंग में पूर्ण ठाकुर ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया। कांग्रेस के कद्दावर नेता और कैबिनेट मंत्री कौल सिंह ठाकुर अपने ही चेले पूर्ण ठाकुर को नहीं मना पाए। पूर्व मंत्री सिंघी राम भी बागी हो गए हैं और वह रामपुर से चुनाव लड़कर कांग्रेस के मनसा राम के लिए मुसीबतें खड़ी करेंगे। हालांकि कांग्रेस पांच बागियों को मनाने में सफल रही है। इनमें नाचन से संजू डोगरा, भोरंज से प्रेम कौशल, ऊना से राजीव गौतम, मनाली से प्रेम शर्मा व बिलासपुर से तिलकराज शर्मा शामिल हैं। लेकिन उसके सात बागी मैदान में डटे हुए हैं। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा एड़ी-चोटी का जोर लगाकर हिमाचल की सत्ता पर काबिज होने के लिए मेहनत कर रही है। पिछला इतिहास भी भाजपा के पक्ष में है, क्योंकि पिछले नौ चुनावों से इस राज्य में कभी भी सत्तारूढ़ पार्टी पर जनता ने भरोसा नहीं दिखाया है। लेकिन पार्टी के भी सात बागी चुनावी मैदान से हटने को तैयार नहीं हैं। कांगड़ा जिले के पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रवीण शर्मा ने नामांकन वापस नहीं लिया। फतेहपुर सीट पर बलदेव ठाकुर चुनाव लड़ रहे हैं। चंबा शहर की सीट से भाजपा के विधायक बीके चौहान भी चुनाव मैदान से हटने को तैयार नहीं हुए। वह पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी पवन नैयर के खिलाफ जंग लड़ने के लिए तैयार हैं। पिछले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों में भी दलबदलुओं ने लगभग सभी पार्टियों की नाक में दम किया था। उन्हें बागियों का भी सामना करना पड़ा था।

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