देहरादून, एक ओर बैंक अकाउंट से लेकर मोबाइल नंबर तक हर जगह आधार अनिवार्य होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी गड़बड़ियों के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे है। ताजा मामला हरिद्वार से करीब 20 किलोमीटर दूर खाटा गांव का है, जहां गांव का हर शख्स आधार के हिसाब से एक ही दिन एक जनवरी को पैदा हुआ है। आधार कार्ड के डेटा के हिसाब से खाटा गांव के मोहम्मद खान की जन्मतिथि एक जनवरी है। उनके पड़ोसी अलफदीन की जन्मतिथि भी एक जनवरी है। इतनी ही नहीं, अलफदीन का पूरा परिवार आधार कार्ड पर यही जन्मतिथि लेकर घूम रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती। इस गांव के आठ सौ परिवारों के हर सदस्य का जन्म आधार के हिसाब से एक जनवरी को हुआ है। सभी ग्रामीणों ने आधार बनवाते वक्त अपने पहचान पत्र और वोटर आईडी दिए थे, इसके बावजूद इतने बड़े स्तर पर लापरवाही सामने आई है। अलफदीन कहते हैं, हमसे कहा गया था कि हमें यूनीक पहचान नंबर मिलेगा। इसमें यूनीक क्या है? सबकी जन्मतिथि तक तो एक छाप दी है। देश में आधार से जुड़ी गड़बड़ियों का यह ऐसा पहला मामला नहीं है। इससे पहले अगस्त में आगरा जिले के तीन गांवों और इलाहाबाद के एक गांव में भी आधार पर सभी की जन्मतिथि एक जनवरी छपकर आई थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि जन्मतिथि तो दूर, लोगों के जन्म का वर्ष भी वोटर या राशन कार्ड से अलग है। कई बुजुर्ग लोगों की आयु 22 साल छपी है, तो वहीं बच्चों की आयु 15 से 60 साल तक छपकर आई है। उप ग्रामप्रधान मोहम्मद इमरान का कहना है कि लोगों ने अपने राशन कार्ड और वोटर कार्ड की कॉपी जमा की थी। यह गलती उस एजेंसी की तरफ से हुई है, जिसने दो साल पहले कार्ड बनाने के लिए डेटा लिया था। स्थानीय लोग इस बात से चिंतित हैं कि कहीं आधार में इस गड़बड़ी की वजह से वे सरकार की योजनाओं का लाभ पाने से वंचित न रह जाएं।