भोपाल, मध्यप्रदेश में कोई आईपीएस अधिकारी सर्विस रिव्यु के बाद अनिवार्य सेवानिवृति के दायरे में नहीं फंसा है,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस बात से आश्चर्य चकित है। मुख्यमंत्री ने सर्विस रिव्यू कमेटी द्वारा भेजी गई फाइल को यह कहते हुए लौटा दिया है कि एक बार फिर से रिव्यू किया जाए। फाइल के लौटने पर गृह विभाग ने बैठक भी बुलाई लेकिन मुख्यसचिव बसंत प्रताप सिंह के भोपाल से बाहर होने पर बैठक कुछ दिन के लिए टाल दी गई। सूत्रों की माने तो अप्रैल माह में भेजी गई इस फाइल में एक भी अफसर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की सिफारिश नहीं की गई है। मुख्यमंत्री को आश्चर्य है कि आईपीएस अफसरों में एक भी भ्रष्ट नहीं है। इसलिए उन्होंने केन्द्र को जानकारी भेजने के पहले फाइल गृह विभाग को यह कहते हुए लौटा दी है कि सभी अफसरों का और बारीकी से समीक्षा की जाए।
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री के यहां से फाइल पांच माह बाद गृह विभाग में लौटी है। मुख्यसचिव का समय मिलते ही रिव्यू कमेटी की बैठक होगी। पूर्व में प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों का परफारमेंस देखने के लिए राज्य स्तरीय सर्विस रिव्यू कमेटी ने बैठकें की थीं। वर्ष 2016 की स्थिति में कमेटी ने समीक्षाएं करके सूची मुख्यमंत्री के पास भेजी थीं। मुख्यमंत्री की सहमति पर वरिष्ठ आईएएस एमके सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। लोकायुक्त छापे के बाद सुर्खियों में आईपीएस अफसर मयंक जैन भी इस फेर में नहीं आ सके। जैन के यहां पर उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने छापा डाला था। इस छापे के साथ ही विभागीय जांच भी शुरू हो गई थी।आगर मालवा के एसपी रहे रघुवीर सिंह मीणा की विभागीय जांच चल रही है। मीणा को विभागीय जांच के चलते पदोन्नति नहीं मिली थी। उनकी नौकरी बीस साल से ज्यादा की हो चुकी है, और उम्र भी पचास साल से ज्यादा है।
सर्विस रिव्यू के बाद किसी भी IPS को अनिवार्य सेवानिवृत्ति नहीं,CM ने पांच महीने बाद फाइल गृह विभाग को लौटाई
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